प्रतिनिधि, बरहरवा इस वर्ष गर्मी इतनी भीषण है कि लोगों को अपने जरूरी काम सूरज अस्त होने के बाद या अहले सुबह ही निबटाने पड़ रहे हैं. पारा 40 डिग्री के पार चला गया है. जलस्रोत भी गर्मी के कारण सूखने की कगार पर हैं. इसी क्रम में प्रखंड के सैकड़ों चापाकलों ने दम तोड़ दिया है. अब उनसे पानी के बजाय सिर्फ हवा निकल रही है, जिससे लोगों की प्यास नहीं बुझ पा रही है. ऐसे विकट हालात में लोगों को भीषण गर्मी में पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रखंड कार्यालय द्वारा सभी पंचायतों में लगे चापाकलों की भौतिक स्थिति का सर्वेक्षण कराया गया. सर्वे में पाया गया कि सभी पंचायतों में 400 से अधिक ऐसे चापाकल हैं, जिन्हें शीघ्र मरम्मत की आवश्यकता है. करीब दो सप्ताह पहले ही यह सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार कर पीएचइडी को सौंप दी गयी थी. ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत के विभिन्न गांवों में चापाकलों के साथ-साथ जलमीनारों की भी मरम्मत की आवश्यकता है. यदि इन्हें शीघ्र दुरुस्त कर दिया जाए तो गर्मी के समय पेयजल की समस्या नहीं रहेगी और तेज उमस भरी गर्मी में पानी के लिए दूर भटकना नहीं पड़ेगा. पीएचइडी करा रहा है 400 से अधिक चापाकलों की मरम्मती प्रखंड कार्यालय द्वारा एचडी को प्रखंड के सभी पंचायतों में खराब पड़े चापाकलों की सूची बनाकर मरम्मती के लिए सौंप दी गई है. इसमें बिंदुपाड़ा में 41, कोटालपोखर में 7, बटाईल में 48, सातगाछी में 45, पलाशबोना में 20, पथरिया में 29, हरिहरा में 11, रामनगर में 15, श्रीकुंड में 11, हस्तिपाड़ा में 5, महाराजपुर में 40, बिनोदपुर में 23, आहुतग्राम में 14, रूपसपुर में 29, मयूरकोला में 17, मिर्जापुर में 13, कालू में 25, बरारी में 6 तथा रिसौड़ पंचायत में 14 चापाकलों की मरम्मत करने की बात कही गयी है. इसके अलावा अन्य पंचायतों में भी कई चापाकल खराब हैं, जिन्हें मरम्मत की आवश्यकता है. क्या कहते हैं पदाधिकारी प्रखंड के खराब चापाकलों की मरम्मती का कार्य जारी है. जिन चापाकलों की मरम्मत शीघ्र संभव है, उन्हें जल्दी ठीक किया जा रहा है. अन्य चापाकलों की भी मरम्मत कर उन्हें लोगों के उपयोगी बनाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है. उमेश मंडल, पीएचइडी
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है