सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की कार्यप्रणाली जांचने पहुंची प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम प्रतिनिधि, साहिबगंज साहिबगंज में गंगा नदी की स्वच्छता और जल शुद्धता के उद्देश्य से बनाये गये सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की कार्यप्रणाली की जांच के लिए मंगलवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) की संयुक्त टीम निरीक्षण में पहुंची. साहिबगंज में गंगा नदी की स्वच्छता और जल शुद्धता की निगरानी के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) की संयुक्त टीम ने निरीक्षण किया. टीम ने जूडको के स्थानीय पदाधिकारियों के साथ मिलकर शहर में संचालित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का बारीकी से जायजा लिया. इस निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य यह देखना था कि शहर की नालियों से निकलने वाला गंदा पानी ट्रीटमेंट के बाद गंगा में किस स्तर तक स्वच्छ होकर छोड़ा जा रहा है. ट्रीटमेंट प्लांट और नालों से लिए गए पानी के सैंपल निरीक्षण टीम में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आरए-1 याकूब अली और संगीता सोनार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से दुमका के प्रदूषण वैज्ञानिक रामदेव साहनी तथा जूडको के स्थानीय पदाधिकारी सुधांशु सेन, राजेश कुमार सिंह और गोपाल मंडल शामिल थे. टीम ने कबूतरखोपी चानन और घोड़माड़ा पुल स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया और वहां घंटों तक रहकर पानी के ट्रीटमेंट की प्रक्रिया का अवलोकन किया. टीम ने ट्रीटमेंट प्लांट में आने वाले पानी और वहां से शुद्ध किए गए पानी के सैंपल एकत्र किए. इसके अलावा गंगा नदी से जुड़े विभिन्न नालों जैसे झरना नाला, गोपालपुल समीप नाला और अन्य स्रोतों से भी पानी के नमूने लिए गए. सभी सैंपल जांच के लिए कोलकाता स्थित लैब में भेजे जाएंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ट्रीटमेंट प्लांट सही तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं. ट्रीटमेंट के बाद ही पानी गंगा में छाेड़ने का नियम नगर परिषद क्षेत्र में पांच पंपिंग स्टेशन बनाये गये हैं, जिनमें से चार का पानी कबूतरखोपी चानन स्थित ट्रीटमेंट प्लांट में जाता है और एक का पानी घोड़माड़ा पुल स्थित ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जाता है. यहां से ट्रीटमेंट के बाद पानी गंगा में छोड़ा जाता है. निरीक्षण के दौरान यह भी देखा गया कि ट्रीटमेंट प्लांट स्वच्छता के मानकों के अनुरूप कार्य कर रहे हैं या नहीं. नौ साल पहले ही हुआ था सिवरेज सिस्टम का निर्माण जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1974 के तहत जल निकायों में प्रदूषकों के स्तर को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं. इसी के तहत केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समय-समय पर जांच कर यह सुनिश्चित करते हैं कि नदियों और जल स्रोतों की स्वच्छता बनी रहे. साहिबगंज में नमामि गंगे परियोजना के तहत वर्ष 2015-16 में सीवरेज सिस्टम का निर्माण किया गया था, ताकि नालियों का गंदा पानी बिना ट्रीटमेंट के सीधे गंगा में न मिले. जांच टीम के आने से पहले ही चलने लगी मशीन, हुआ युद्धस्तर पर सफाई अभियान जांच टीम के साहिबगंज पहुंचने से पहले नगर परिषद पूरी तरह से अलर्ट हो गया. शहर की मुख्य नालियों की सफाई युद्ध स्तर पर की गई और गोपालपुल बड़े नाले में बालू से भरे बोरे लगाकर पानी के प्रवाह को रोका गया. इसके बाद पंपिंग सेट मशीन लगाकर नाली के पानी को जबरन सीवरेज चेंबर में डाला गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी जांच टीम आती है, तब ही इस तरह की कार्रवाई होती है. बाकी दिनों में नालों का गंदा पानी सीधे गंगा में बहता रहता है. यह स्थिति गंभीर सवाल खड़े करती है कि क्या ट्रीटमेंट प्लांट वास्तव में नियमित रूप से कार्य कर रहे हैं, या फिर केवल निरीक्षण के दौरान दिखावे के लिए सफाई की जाती है. गंगा की स्वच्छता को लेकर उठे सवाल सैंपल की जांच रिपोर्ट आने के बाद इसका मिलान केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी जाने वाली रिपोर्ट से किया जायेगा. यदि ट्रीटमेंट प्लांट के पानी में गंदगी पायी जाती है, तो यह साफ हो जायेगा कि नगर परिषद और जूडको की व्यवस्थाएं केवल कागजों पर ही चल रही हैं. साहिबगंज में गंगा नदी की सफाई और प्रदूषण नियंत्रण को लेकर यह निरीक्षण काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यदि ट्रीटमेंट प्लांट मानकों के अनुरूप कार्य नहीं कर रहे हैं, तो इससे न केवल गंगा की स्वच्छता पर असर पड़ेगा, बल्कि सरकार की बहुप्रतीक्षित नमामि गंगे परियोजना पर भी सवाल खड़े होंगे. अब सबकी नजर इस बात पर है कि लैब से आने वाली जांच रिपोर्ट क्या कहती है और क्या प्रशासन इस पर कोई ठोस कार्रवाई करेगा या नहीं.
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