बरहरवा.जिले में मनरेगा का हाल बेहाल है. नौ प्रखंडों में मैटेरियल मद में दो वित्तीय वर्षों में 1847.91 लाख रुपये का बकाया हो गया है. इनमें वित्तीय वर्ष 2024-25 मे 1748.32 लाख रुपये तो वहीं, 2025-26 में अब तक 99.59 लाख रुपये का बकाया है. ऐसे में मनरेगा का काम कराने वाले वेंडरों (आपूर्तिकर्ता) को भी परेशानी हो रही है. ईद, रामनवमी व बकरीद के अलावा अन्य पर्व के दौरान भी राशि का भुगतान नहीं होने से उनमें काफी मायूसी है. योजना के क्रियान्वयन करने वाले वेंडर अब मैटेरियल की आपूर्ति करने में हिचकिचाहट कर रहे हैं. ऐसे में सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं के धरातल पर उतारने में परेशानी उठानी पड़ सकती है. मनरेगा के वेंडर बताते हैं कि योजना का काम करवाने में उनकी मूल पूंजी फंसी हुई है, पूंजी के साथ-साथ मुनाफा भी नहीं मिल रहा है. वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 में 13 जून 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, अब तक नौ प्रखंडों में मैटेरियल मद में सबसे अधिक का बकाया बरहरवा प्रखंड का 882.08 लाख रुपये तो सबसे कम तालझारी प्रखंड का 34.37 लाख रुपये बकाया हो गया है. ज्ञात हो कि जिले के विभिन्न प्रखंडों में मनरेगा के तहत सूखा निरोधन, बाढ़ नियंत्रण एवं सरंक्षण, लैंड डेवलपमेंट, सूक्ष्म सिंचाई कार्य, पारंपरिक जल निकायों के नवीनीकरण, ग्रामीण कंटेक्टीविटी, ग्रामीण स्वच्छता, जल संरक्षण एवं जल संचयन सहित कई योजनाएं चल रही है. इन योजनाओं को संपादित करने में मनरेगा कर्मियों का भी अहम योगदान होता है. किंतु करीब 5 माह से मनरेगा का कार्य करने वाले बीपीओ व रोजगार सेवकों को मानदेय नहीं मिल पाया है. हालांकि कुछ कर्मियों का मानदेय भुगतान मार्च माह से बकाया है. ये कर्मी किसी तरह अपना घर-परिवार चला रहे हैं. मनरेगा कर्मी बताते हैं कि इतनी महंगाई के दौर में भी समय पर मानदेय नहीं मिल रहा है. जिस कारण परिवार के भरण-पोषण में काफी परेशानी हो रही है. किसी तरह रिश्तेदारों व स्वजनों से रुपये उधार लेकर गृहस्थी चलानी पड़ रही है. जिले के नौ प्रखंडो में 13 प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी (बीपीओ) व 162 रोजगार सेवक कार्य कर रहे हैं. इधर, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अगले 6-7 दिनों में मनरेगा कर्मियों के मानदेय का भुगतान किया जा सकता है. केंद्र से राशि का भुगतान किया जा चुका है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
उपविकास आयुक्त सतीश चंद्र ने बताया कि मनरेगा योजना में मैटेरियल व मजदूरी का भुगतान राज्य स्तर पर होता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है