साहिबगंज. झारखंड हाई कोर्ट के कड़े निर्देश के बाद भी शहरी जलापूर्ति योजना के माध्यम से साहिबगंज वासियों की इस बार भी गर्मी में प्यास नहीं बुझायी जा सकी. मामले में अगस्त 2024 में झारखंड हाई कोर्ट ने कड़े तेवर दिखाते हुए विभाग के एक पदाधिकारी को निलंबित करते हुए जून 2025 तक साहिबगंज में शहरी जलापूर्ति योजना का लाभ शहरवासियों को देने का निर्देश दिया था. निर्देश के तहत पेयजल और स्वच्छता विभाग की ओर से शहर में पूर्व से चिह्नित किए गए 19 हजार घरों को पाइप का कनेक्शन करते हुए जलापूर्ति योजना के माध्यम से नलजल उपलब्ध कराना था, लेकिन निर्धारित समय सीमा के बाद भी अबतक केवल 7.5 हजार घरों को ही नल जल के लिए कनेक्शन तो किया जा सका है, लेकिन कनेक्शन के बाद भी इन घरों तक जल नहीं पहुंचा है. क्या है पूरा मामला : झारखंड हाई कोर्ट के सख्त रुख के बाद साहिबगंज की शहरी जलापूर्ति योजना को लेकर एक बार फिर गंभीर कदम उठाए गए हैं. इस योजना का उद्देश्य जनवरी 2025 तक शहर के हर घर में शुद्ध पेयजल पहुंचाना था, लेकिन अब तक यह सपना अधूरा है. योजना की शुरुआत वर्ष 2002 में हुई थी, जब सरकार ने नगर परिषद को 2.5 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. योजना में लापरवाही और क्रियान्वयन की धीमी गति के कारण सामाजिक कार्यकर्ता सिद्धेश्वर मंडल ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. वर्ष 2011-12 में योजना के लिए 50.86 करोड़ रुपये की लागत से गुजरात की दोशियन कंपनी को ठेका दिया गया, लेकिन इस कंपनी ने अनियमितताएं बरतते हुए करीब 8 करोड़ रुपये की ओवर पेमेंट ली और बाद में इसे ब्लैकलिस्ट कर दिया गया. इसके बाद वर्ष 2018 में योजना को आगे बढ़ाने के लिए बनारस की परमार कंस्ट्रक्शन कंपनी को 22 करोड़ रुपये की लागत से कार्य सौंपा गया. लेकिन छह साल बीतने के बाद भी न तो योजना पूरी हुई, न ही घर-घर जल पहुंच सका. लगातार शिथिलता और अनियमितता को देखते हुए इस कंपनी को भी ब्लैकलिस्ट कर दिया गया और 6.40 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि की वसूली के लिए सर्टिफिकेट केस किया गया. जनवरी 2025 तक योजना पूरी करने के उद्देश्य से विभाग ने एक बार फिर टेंडर जारी कर रांची की राजगिरी कंस्ट्रक्शन कंपनी को लगभग 10 करोड़ रुपये की लागत से यह जिम्मेदारी दी. कंपनी को छह माह में कार्य पूरा करना था, लेकिन निर्धारित समय के बाद भी केवल 35% कार्य ही पूरा हो सका. आजादी के 77 साल बाद भी साहिबगंज शहर के लोगों को शुद्ध पेयजल के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है या फिर खरीदकर पानी पीना पड़ रहा है. शहरी जलापूर्ति योजना बार-बार ठेकेदारों की लापरवाही, सरकारी उदासीनता और अनियमितताओं के कारण पूरी नहीं हो सकी है. हाई कोर्ट की निगरानी और कार्रवाई के बावजूद अब तक स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है, जिससे आमजन में नाराजगी और चिंता बनी हुई है. क्या कहते हैं कार्यपालक अभियंता : शहरी जलापूर्ति योजना के क्रियान्वयन को लेकर तेजी से कार्य चल रहा है. जिला आपूर्ति योजना शुरू करने को लेकर अब तक कई बार सफल टेस्टिंग भी किया जा चुका है. आने वाले समय में जल्द ही शहरवासियों को इस योजना का लाभ मिलेगा. – शशिशेखर सिंह, कार्यपालक अभियंता, पेयजल स्वच्छता विभाग, साहिबगंज
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