राजनगर. राजनगर प्रखंड के कुमडीह गांव में आकिल आखड़ा जियाड़ कुमडीह की ओर से हूल दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सांसद जोबा माझी उपस्थित रहीं, जबकि विशिष्ट अतिथि झामुमो के केंद्रीय सदस्य कृष्ण बास्के, समाजसेवी कालीपद सोरेन और झामुमो प्रखंड अध्यक्ष रामसिंह हेम्ब्रम मंच पर मौजूद रहे. कार्यक्रम की शुरुआत वीर शहीद सिदो-कान्हू की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुई. इसके बाद कमेटी की ओर से अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया.
लोगों को संबोधित करते हुए सांसद जोबा माझी ने कहा कि 1855 का हूल कोई साधारण विद्रोह नहीं था, बल्कि जल-जंगल-जमीन और आदिवासी अस्मिता की पहली गर्जना थी. सिदो-कान्हू जैसे वीरों ने हमें अधिकार की लड़ाई लड़ना सिखाया. आज का दिन हमारी भाषा, संस्कृति और अस्तित्व की रक्षा का संकल्प लेने का दिन है. उन्होंने ड्रामा प्रतियोगिता की सराहना करते हुए कहा कि यह केवल कला नहीं, बल्कि हमारी विरासत की जीवंत अभिव्यक्ति है. मौके पर कृष्ण बास्के, कालीपद सोरेन और रामसिंह हेम्ब्रम ने भी अपने विचार रखे. झामुमो केंद्रीय सदस्य कृष्ण बास्के ने कहा कि सिदो-कान्हू का हूल आदिवासी अस्मिता और आत्मसम्मान की लड़ाई थी और आज भी हमारा समाज उसी आत्मबल के साथ खड़ा है. समाजसेवी कालीपद सोरेन और प्रखंड अध्यक्ष रामसिंह हेम्ब्रम ने भी आदिवासी एकता, सांस्कृतिक जागरुकता और पुनरुत्थान की आवश्यकता पर बल दिया.ड्रामा प्रतियोगिता में झलकी संस्कृति की छवि
कार्यक्रम के दौरान आयोजित ड्रामा प्रतियोगिता में कुल पांच टीमों ने भाग लिया. कलाकारों ने मंच पर आदिवासी इतिहास और संस्कृति को जीवंत कर दिया. उनकी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. सभी अतिथि घंटों तक मंच के सामने बैठकर कार्यक्रम का आनंद लेते रहे. कार्यक्रम में झामुमो के पूर्व अध्यक्ष रामजीत हासदा, केपी सोरेन, बिशु हेम्ब्रम, भोक्तू मार्डी, सोनाराम सोरेन, श्याम टुडू, पूर्व मुखिया सुधीर हांसदा सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण और सांस्कृतिक कार्यकर्ता उपस्थित थे.“
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