चांडिल.
नीमडीह थाना झिमड़ी गांव में घटना के 18 दिन बाद भी जन जीवन सामान्य नहीं हुआ है. घटना के बाद से गांव के युवा व पुरुष अभी तक फरार हैं. झिमड़ी गांव निवासी उर्मिला महतो ने बताया कि हमलोग किसान हैं. पुलिस के डर से घर के पुरुष भागते फिर रहे हैं. इस कारण परिवार के समक्ष आर्थिक संकट हो गयी है. खेतीबाड़ी का काम बंद है. सब्जियों को हाट बाजार तक ले जाना मुश्किल है. खेत में सब्जियां सड़ रही हैं. गांव की महिला ममता महतो ने बताया कि निर्दोष लोगों पर प्राथमिकी करने के बाद घर के पुरुष फरार हैं. मैंने कभी मजदूरी नहीं की. अब रुपयों के अभाव में मजदूरी करने जाना पड़ रहा है.बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकाले सरकार : संजय
नरेंद्र विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष संजय गोराई ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि झिमड़ी गांव की घटना काफी शर्मनाक है. जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन करना गलत है. पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर अवैध बांग्लादेशी एवं रोहिंग्या अनैतिक रूप से कब्जा किये हैं. घुसपैठिये शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से जाली आधार कार्ड बनाकर राजमिस्त्री, मजदूर, टीना लोहा वाला, फेरीवाले आदि का काम कर रहे हैं. सरकार इन लोगों के विरुद्ध कार्रवाई करे. बंग्लादेशियों को बाहर निकाला जाये.
विशेष समुदाय की तीन जविप्र दुकानों से नहीं लेंगे राशन
घटना के बाद से महिलाओं में काफी आक्रोश है. महिलाओं ने कहा कि विशेष समाज के बहकावे में आकर ही निर्दोषों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है. झिमड़ी में जन वितरण प्रणाली की तीन दुकानें है. इसका संचालन विशेष समुदाय द्वारा किया जाता है. अब ग्रामीणों द्वारा यह तय किया गया है कि अब वे लोग विशेष समाज की जन वितरण प्रणाली दुकानों से राशन का उठाव नहीं करेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है