सिमडेगा. सामटोली स्थित संत अन्ना महागिरजा घर में संत अन्ना धर्मबहनों की संरक्षिका संत अन्ना पर्व मनाया गया. मौके पर समारोही मिस्सा अनुष्ठान का आयोजन किया गया. मिस्सा समारोह में मुख्य अनुष्ठाता के रूप सिमडेगा धर्मप्रांत के बिशप विसेंट बरवा उपस्थित थे. मिस्सा अनुष्ठान से पूर्व बालिकाओं ने प्रवेश नृत्य के साथ बिशप व अन्य पुरोहितों को बलि बेदी तक लाया. मिस्सा बलिदान के दौरान अपने प्रवचन में बिशप बरवा ने कहा कि 26 जुलाई 1897 में संत अन्ना की स्थापना हुई थी. संत अन्ना धर्म समाज की संरक्षिका माता बेर्नादेत थीं. उन्होंने पूरे देश में संत अन्ना धर्म समाज को जोड़ने का काम किया था. उन्हीं की याद में यह पर्व मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि संत अन्ना कि स्थापना का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण है. देश में हमारी धर्म बहनें शिक्षा समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी महत्ती भूमिका निभा रही हैं. लोगों को हर क्षेत्र में जागरूक करने का काम कर रही हैं. बिशप ने कहा कि धर्मबहनें अपने जीवन को प्रभु के चरणों में त्याग कर सभी धर्म विश्वासियों को प्रभु यीशु के दिखाए सच्चे मार्ग पर चलने का संदेश देता हैं. लोगों को धर्म व समाज के प्रति जागरूक करने का काम करती हैं. सभी धर्म बहनें ईश्वर द्वारा चुनी गयी हैं. उन्होंने कहा कि संत अन्ना के आदर्शों को अपने जीवन उतारें. साथ ही ईश्वरीय विश्वास व प्रेम के साथ जीवन व्यतीत करें. अपने परिवार में भी प्रार्थनामय वातावरण बनाये रखें. उन्होंने कहा कि ईश्वर में विश्वास करने से जीवन में सुख व शांति मिलती है. मिस्सा बलिदान के दौरान बाइबल जुलूस व चढ़ावा नृत्य प्रस्तुत किया गया. मिस्सा बलिदान में मुख्य अनुष्ठाता का सहयोग फादर सह बीजी इग्नेस टेटे, फादर पीटर मिंज, रेक्टर फादर पीयूष खलखो, फादर फेडरिक कुजूर, फादर सुनीन, फादर दोमनिक बाड़ा, फादर शैलेश केरकेट्टा समेत अन्य 10 पुरोहितों ने किया. मिस्सा गीत का संचालन फादर दोमनिक डांग के अगुवाई में संत अन्ना छात्रावास की छात्राओं ने किया. मिस्सा बलिदान के बाद स्वागत समारोह व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
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