बानो. प्रखंड के जराकेल सबाटोली गांव के ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. यहां के लगभग 73 परिवार पिछले तीन माह से बिजली संकट से जूझ रहे हैं. गांव का ट्रांसफाॅर्मर जल जाने के बाद बिजली सेवा ठप हो गयी है. ग्रामीणों ने कई बार विभागीय अधिकारियों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और विधायक को आवेदन देकर अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई. गांव में मुख्य रूप से मुंडा समाज के लोग रहते हैं. यहां की सड़कें भी बदहाल हैं. जराकेल से सबाटोली तक लगभग तीन किमी लंबी ग्रेड वन सड़क जर्जर हो चुकी है. बारिश के पानी से मिट्टी बह जाने के कारण बड़े-बड़े बोल्डर उभर आये हैं, जिससे पैदल चलना मुश्किल हो गया है. गांव में नया आंगनबाड़ी केंद्र बन रहा है, लेकिन उसका निर्माण कार्य चार महीने से बंद है. पूर्व केंद्र के जर्जर होने के कारण नया केंद्र बनाया जा रहा है, पर समय पर पूरा न होने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. सेविका बच्चों को जैसे-तैसे इधर-उधर बैठा कर पढ़ाने को मजबूर हैं. प्राथमिक शिक्षा के लिए गांव के बच्चों को एक किमी दूर कोयलबेड़ा स्कूल जाना पड़ता है, जबकि उच्च शिक्षा के लिए चार किमी दूर बानो या सात किमी दूर लचरागढ़ जाना होता है. खराब सड़क के कारण बच्चों को साइकिल चलाने में भी परेशानी होती है. स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ग्रामीणों को पांच किमी दूर बानो या तीन किमी दूर कनारोआ जाना पड़ता है. गांव में पेयजल के लिए चार जलमीनार लगायी गयी हैं, जिनमें से तीन खराब हैं. विभागीय अधिकारियों को सूचना देने के बाद भी इनकी मरम्मत नहीं की गयी है. ग्रामीण अशोक बुढ़, सनिका मुंडा, पीटर लुगून, तरसियुस लुगून, राजेश बुढ, विजय बुढ, कार्मिल बुढ, सिबी लुगून और सिलबिया लुगून समेत अन्य लोगों ने बताया कि गांव में बारिश के दिनों में कीचड़ और गंदगी के कारण घर से निकलना मुश्किल हो जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव की सुध लेने वाला कोई नहीं है. वर्षों से समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. प्रशासन से मांग है कि जल्द से जल्द ट्रांसफाॅर्मर बदला जाये, सड़क की मरम्मत करायी जाये, जलमीनार दुरुस्त की जाये और अधूरे आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण पूरा किया जाये.
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