जलडेगा. झारखंड सरकार द्वारा ग्रामसभा की अनुमति के साथ शराब दुकान व बीयर बार खोलने के निर्णय का आदिवासी समाज के लोगों ने विरोध जताया है. इस संबंध में लोंबोई ग्रामसभा के जुनास तोपनो ने कहा कि ग्राम स्तर पर शराब दुकान व बीयर बार खोलने का निर्णय किसी भी स्थिति में आदिवासियों के हित में नहीं है. आदिवासी समाज शराब के कारण बिखर रहे हैं, परिवार टूट रहा है व युवा वर्ग कमजोर हो रहा है. ऐसे में शराब दुकान व बीयर बार खोलने से आदिवासी समाज बिखर जायेगा तथा समाज की स्थिति और भी दयनीय हो जायेगी. लोंबोई करमापानी निवासी असियन बागे ने कहा कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों में ग्राम स्तर पर शराब दुकान खोलने का निर्णय गलत है. समाज इसका जोरदार विरोध करेगा. आदिवासी समाज आज भी गरीबी व समस्याओं से जूझ रहा है और ग्राम स्तर पर शराब दुकान खुलने से परिवार, समाज और आने वाली नयी पीढ़ी बर्बादी के कगार पर पहुंच जायेगी. उन्होंने कहा कि सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार पर ध्यान देना चाहिए, ताकि आदिवासी समाज दूसरे राज्यों में पलायन न करें. लोंबोई कौवपानी निवासी सुजीत तोपनो ने कहा कि झारखंड सरकार का यह निर्णय उचित नहीं है. इस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए. ग्राम स्तर पर शराब दुकान व बीयर बार खोलने से आदिवासी समाज के लिए नुकसानदायक है. उन्होंने कहा कि सरकार को पूर्ण नशाबंदी की घोषणा करनी चाहिए. कोनमेरला दादीबेड़ा निवासी सुगड़ होरो ने कहा कि आदिवासी समाज शराब की गिरफ्त में आकर आज भी पिछड़े हैं. उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन हमेशा शराब के खिलाफ रहे तथा आज ग्राम स्तर पर शराब दुकान खोलने का निर्णय आदिवासियों को मिटाने की साजिश है. तिलाईजारा निवासी विल्सन समद ने कहा कि झारखंड सरकार द्वारा राजस्व प्राप्ति के लिए गांव स्तर पर शराब दुकान खोलने का निर्णय गलत है. शिशिर लुगून ने कहा कि यह निर्णय आदिवासी समाज को उजाड़ देगी. उन्होंने कहा कि यह आदिवासियों के हित में नहीं है. मुखिया विपिन बंडिग ने कहा कि आदिवासी समाज शराब की लत से आज भी आरक्षण के बावजूद पिछड़े हैं. अगर गांव स्तर पर शराब दुकान खुल गयी, तो राज्य व देश कमजोर होगा. बाड़ीबिंरिंगा निवासी गुडवीन कंडुलना ने कहा कि इससे आदिवासी के साथ गैर आदिवासियों का जीवन भी बर्बाद होगा. सरकार को विद्यालयों को मजबूत करना चाहिए तथा उद्योग धंधे पर जोर देना चाहिए.
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