सिमडेगा. जिले के कुरडेग प्रखंड मुख्यालय से पांच किमी दूरी पर स्थित बासेन पंचायत के गुझरिया गांव की रहने वाली लीला देवी आज बकरी पालन के जरिये न सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं, बल्कि एक प्रेरणास्रोत भी बन गयी हैं. अपने पति हरिशंकर मांझी व बच्चों समेत नौ सदस्यों वाले संयुक्त परिवार को वह आत्मनिर्भरता की राह पर ले जा चुकी हैं. वर्ष 2017 में सखी मंडल जुड़ाव अभियान के तहत बने सरनाआजीविका स्वयं सहायता समूह से लीला देवी जुड़ीं. समूह में वह सदस्य और पुस्तक संचालक के रूप में सक्रिय रहीं. इस दौरान जेएसएलपीएस की जोहार परियोजना के तहत उन्हें उन्नत कृषि, बकरी व मुर्गी पालन का प्रशिक्षण मिला. प्रशिक्षण के बाद लीला देवी ने बकरी पालन को आजीविका का जरिया बनाने का निश्चय किया. वर्ष 2023 में उन्होंने सखी मंडल से 25 हजार रुपये का ऋण लेकर पांच बकरियां खरीदीं. पहले से तीन बकरियों के साथ उनकी शुरुआत हुई. निरंतर मेहनत व लगन से उन्होंने इस कार्य को आगे बढ़ाया. वर्तमान में उनके पास कुल 28 बकरियां और बकरे हैं. सिर्फ बकरी पालन से उन्होंने इस वर्ष 52,000 का लाभ कमाया है. इसके साथ उन्होंने समूह से 2.8 लाख रुपये ऋण लेकर एक ट्रैक्टर भी खरीदा, जिसे उनके पति और देवर चलाते हैं. ट्रैक्टर के जरिये गांव में खेती, निर्माण कार्य और ढुलाई जैसी सेवाएं दी जा रही हैं, जिससे प्रति माह 18,000 से 20,000 तक की अतिरिक्त आमदनी हो रही है. लीला देवी ने साबित कर दिया है कि सही मार्गदर्शन, लगन व मेहनत से कोई भी महिला आत्मनिर्भर बन सकती हैं. आज वह अपने गांव की महिलाओं के लिए मिसाल बन चुकी हैं.
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