सिमडेगा. पाकरटांड़ प्रखंड के छोटे से गांव सरखुटोली की हेमवती देवी कभी जीवन की कठिनाइयों से घिरी हुई थीं. सीमित आय, खेती-बारी पर निर्भरता और रोजगार के साधनों की कमी से उनका परिवार आर्थिक तंगहाली में जी रहा था. साल 2016 में हेमवती देवी भवती महिला समूह से जुड़ीं. उन्होंने पहली बार जाना कि महिलाएं छोटे-छोटे प्रयासों से भी बड़ी आर्थिक प्रगति कर सकती हैं. समूह की सदस्य होने के कारण उन्हें आरएसइटीआइ के माध्यम से बकरी पालन का प्रशिक्षण मिला. इसके बाद उन्होंने समूह से 20,000 रुपये का ऋण लिया. पहले से उनके पास पांच बकरियां थीं, और ऋण लेकर उन्होंने पांच और बकरियां खरीदीं. हेमवती देवी ने बकरियों के टीकाकरण, खान-पान और स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा. आजीविका पशु सखी बबीता कुमारी ने डी-वॉर्मिंग और टीकाकरण में सहयोग किया. धीरे-धीरे उनके बकरियों की संख्या बढ़ती गयी. वर्तमान में उनके पास 35 वयस्क बकरियां और 12 छोटी बकरियां शामिल हैं. हेमवती देवी हर वर्ष 5-6 खस्सी बेचती हैं, जिससे उन्हें 80 से 90 हजार रुपये की सालाना आय होती है. खेती-बारी भी उनकी अतिरिक्त आमदनी का जरिया है. आज हेमवती देवी अपने गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं. वे न सिर्फ उन्हें बकरी पालन के लिए प्रेरित करती हैं, बल्कि प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए भी उत्साहित करती हैं. हेमवती देवी जेएसएलपीएस का धन्यवाद करते हुए कहती हैं कि समूह ही उनकी ताकत है. उनका संदेश है कि सभी महिलाओं को समूह से जुड़ कर अपनी आजीविका के संवर्धन की दिशा में प्रयास करना चाहिए.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है