Prayagraj News: प्रयागराज के दारागंज मोहल्ले में रहने वाले सीआईडी से सेवानिवृत्त अधिकारी अवधेश त्रिपाठी के घर में कभी रौशनी और उम्मीद का प्रतीक रहा उनका बेटा शशिकांत त्रिपाठी आज एक दुखद याद बनकर रह गया है. 6 फरवरी 2023 को जब उसका विवाह दरोगा बृजबली तिवारी की बेटी दीक्षा से हुआ था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह रिश्ता उसकी मौत का कारण बनेगा.
शादी के बाद शुरू हुआ उत्पीड़न
दारागंज के त्रिपाठी परिवार में शादी के बाद हालात तेजी से बदलने लगे. दीक्षा का भाई मनोज तिवारी, बहन वंदना और ससुर बृजबली तिवारी ने शशिकांत पर दबाव बनाना शुरू कर दिया. मकसद साफ था प्रयागराज में त्रिपाठी परिवार की संपत्ति में से जबरन हिस्सा लेना. अकेलेपन का फायदा उठाकर वे लगातार मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न करने लगे.
112 पर मदद मांगी, लेकिन दबंग दरोगा के आगे बेबस निकली पुलिस
शशिकांत ने उत्पीड़न से तंग आकर पुलिस कंट्रोल रूम 112 पर कॉल कर मदद मांगी, लेकिन उसके ससुर बृजबली तिवारी की पूर्व दरोगा की हैसियत के कारण कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. स्थानीय पुलिस ने इसे पारिवारिक विवाद बताकर टाल दिया.
वकालत छोड़ी, फिर भी नहीं मिला चैन
प्रयागराज में एक सक्रिय अधिवक्ता के रूप में पहचान बना चुका शशिकांत मानसिक प्रताड़ना से इस कदर टूट गया कि उसने वकालत छोड़ दी. सुरक्षा की तलाश में वह मऊ जिले के घोसी में स्थित एक सीमेंट फैक्ट्री में नौकरी करने चला गया. लेकिन वहां भी उसके ससुराल पक्ष ने उसे चैन से जीने नहीं दिया.
पत्नी भी छोड़ गई साथ, मायके ले गई गहने और कीमती सामान
पति के संकट के समय दीक्षा ने भी साथ छोड़ दिया. वह प्रयागराज स्थित पुलिस क्वार्टर में अपने मायके चली गई और जाते-जाते कीमती गहने, नकदी और घरेलू सामान भी साथ ले गई. यह धोखा शशिकांत के आत्मबल को और कमजोर कर गया.
सुसाइड नोट और स्टेटस से किया दर्द जाहिर, फिर उठाया खौफनाक कदम
शशिकांत ने 31 मई 2023 को व्हाट्सएप स्टेटस पर अपने दर्द और लाचारी का इजहार किया और आत्महत्या का प्रयास किया. मऊ में उसकी हालत कुछ सुधरने लगी थी, लेकिन तभी ससुराल पक्ष ने नए षड्यंत्र को अंजाम दिया.
बिना पोस्टमार्टम, बिना पिता की मौजूदगी में कर दिया अंतिम संस्कार
उसके साले मनोज तिवारी ने अस्पताल से शशिकांत को बिना ऑक्सीजन सपोर्ट और डॉक्टर की अनुमति के जबरन उठा लिया और प्रयागराज ले जाकर जल्दबाजी में उसका अंतिम संस्कार कर दिया. यह सब बिना पिता की जानकारी और बिना पोस्टमार्टम के किया गया ताकि पूरे मामले को आत्महत्या साबित किया जा सके.
पिता की फरियाद नहीं सुनी गई, अदालत पहुंचने पर दर्ज हुई एफआईआर
दारागंज निवासी वृद्ध पिता अवधेश त्रिपाठी ने प्रयागराज पुलिस अधिकारियों से लेकर आला अफसरों तक गुहार लगाई, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हुई. अंततः उन्होंने न्यायालय की शरण ली. कोर्ट ने उपलब्ध सबूतों को देखते हुए मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया.
पुलिस कर रही है ढिलाई, पिता को योगी से उम्मीद
एफआईआर दर्ज होने के बावजूद प्रयागराज पुलिस की जांच की रफ्तार बेहद धीमी है. आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और बूढ़े माता-पिता दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. अब दारागंज के वृद्ध दंपत्ति की आखिरी उम्मीद हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो न्याय दिलाने के लिए कदम उठाएं.
प्रयागराज के दारागंज में एक बेटे की मौत सिर्फ पारिवारिक कलह नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी और ससुराल वालों की सुनियोजित दरिंदगी का नतीजा है. क्या मिलेगा इन माता-पिता को इंसाफ?