UP School Merger: उत्तर प्रदेश सरकार ने परिषदीय स्कूलों के विलय को लेकर प्रदेशभर में हो रहे विरोध के बीच बड़ा फैसला लिया है. बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने स्पष्ट किया है कि अब ऐसे स्कूल जिनकी दूरी एक किलोमीटर से अधिक है, उन्हें किसी अन्य विद्यालय में मर्ज नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही ऐसे स्कूल जहां विद्यार्थियों की संख्या 50 से अधिक है, उनका भी विलय नहीं होगा. यह निर्णय अभिभावकों और शिक्षक संगठनों की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.
विरोध के बीच लिया गया निर्णय, अभिभावकों की आपत्तियां बनीं वजह
प्रदेश के विभिन्न जिलों में शिक्षक संघ और अभिभावकों द्वारा स्कूलों के विलय के फैसले का विरोध किया जा रहा था. कई स्थानों पर शिकायतें मिलीं कि नए विलयित स्कूल बच्चों के लिए बहुत दूर पड़ रहे हैं, जिससे बच्चों को नियमित स्कूल आना मुश्किल हो जाएगा. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अब स्कूलों की दूरी और छात्र संख्या को प्रमुख मानदंड बनाकर नई गाइडलाइन जारी की है.
स्कूलों में सुविधाएं बेहतर हुईं, 96% में पीने का पानी और शौचालय
लोकभवन में मीडिया को संबोधित करते हुए बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि बीते आठ वर्षों में परिषदीय स्कूलों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. वर्ष 2017 के बाद से लगातार प्रयास किए गए हैं कि सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं सुलभ हों. इसका परिणाम यह है कि वर्तमान में प्रदेश के लगभग 96 प्रतिशत स्कूलों में बच्चों के लिए पीने का पानी, शौचालय और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं. सरकार शिक्षा के अधिकार को मजबूती से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का लक्ष्य लेकर चल रही है.
अन्य राज्यों में पहले ही हो चुकी है स्कूल पेयरिंग की प्रक्रिया
बेसिक शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य नहीं है जो स्कूलों के विलय की प्रक्रिया अपना रहा है. इससे पहले कई अन्य राज्यों में भी यह मॉडल लागू किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में वर्ष 2014 में 20 हजार स्कूलों का विलय किया गया था. मध्य प्रदेश में वर्ष 2018 के पहले चरण में 36 हजार स्कूलों का एकीकरण किया गया और लगभग 16 हजार समेकित परिसरों का निर्माण हुआ. उड़ीसा में वर्ष 2018-19 में करीब 1800 स्कूलों को पेयर किया गया. वहीं हिमाचल प्रदेश में भी वर्ष 2022 और 2024 के दौरान चरणबद्ध ढंग से यह प्रक्रिया पूरी की गई. इन राज्यों में इस मॉडल को अपनाने का मुख्य उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग और छात्रों के शैक्षणिक भविष्य को सुदृढ़ बनाना था.
69 हजार शिक्षक भर्ती पर सरकार का रुख साफ – कोर्ट के फैसले का करेंगे सम्मान
69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण विवाद को लेकर राज्यमंत्री संदीप सिंह ने स्पष्ट किया कि यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और जो भी निर्णय वहां से आएगा, सरकार उसका पूरी तरह पालन करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर सकती. साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि पहले शिक्षक अपने स्थान पर किसी और को पढ़ाने के लिए नियुक्त कर देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है. अब हर शिक्षक स्वयं बच्चों को पढ़ा रहा है, जिससे शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और गुणवत्ता आई है.