VARANASI FOODS: अगर आप वाराणसी घूमने जा रहे हैं और खाने-पीने के शौकीन हैं, तो यह शहर आपके लिए किसी स्वाद के खजाने से कम नहीं. बनारस सिर्फ मंदिरों और घाटों के लिए नहीं, बल्कि अपने पारंपरिक और लजीज व्यंजनों के लिए भी दुनिया भर में मशहूर है. यहां की हर गली, हर नुक्कड़ पर खाने की कुछ ऐसी चीज़ें मिलती हैं जो आपको हमेशा के लिए याद रह जाएंगी. चलिए जानते हैं कि वाराणसी में क्या-क्या खाएं और कहाँ-कहाँ जाएं….
कचौड़ी-सब्ज़ी और जलेबी – सुबह की ज़ायकेदार शुरुआत
कहाँ खाएं: ठठेरी बाजार, गोदौलिया, लंका, गिरजाघर चौराहा
बनारस की सुबह बिना कचौड़ी-सब्ज़ी के अधूरी मानी जाती है. यहां मिलने वाली कचौड़ी दो तरह की होती है – छोटी कुरकुरी और बड़ी भरवां। इन्हें मसालेदार आलू की सब्ज़ी के साथ परोसा जाता है. इसके साथ अगर गर्म-गर्म जलेबी खा ली जाए, तो सुबह का नाश्ता बनारसी अंदाज़ में पूरा होता है. यह कॉम्बो आपको स्थानीय ठेलों से लेकर नामी दुकानों तक हर जगह मिल जाएगा.
बनारसी लस्सी – कुल्हड़ में मलाईदार ठंडक
कहाँ पिएं: गोदौलिया, चौक, लंका, मैदागिन
बनारसी लस्सी को कुल्हड़ में परोसा जाता है और इसकी सबसे खास बात है ऊपर की गाढ़ी मलाई और रबड़ी की परत. इसे पीते ही मुँह में मिठास और ठंडक एक साथ घुल जाती है. कई जगहों पर इसे केसर और पिस्ता से सजाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी निखर उठता है.
टमाटर चाट – चटपटेपन की अनोखी मिसाल
कहाँ खाएं: दशाश्वमेध घाट के पास, गोदौलिया
अगर आपको चटपटी चीज़ें पसंद हैं, तो बनारस की टमाटर चाट ज़रूर ट्राय करें. ये चाट मसले हुए टमाटर, मटर, मसालों, घी और सेव से बनाई जाती है. इसे देसी घी में पकाया जाता है और ऊपर से नींबू, धनिया और पनीर का तड़का इसे और भी लाजवाब बना देता है. इसे खाने के बाद आपको लगेगा कि आपने कुछ बिल्कुल नया और बेहतरीन चखा है.
चूड़ा मटर – हेल्दी और स्वादिष्ट नाश्ता
कहाँ खाएं: लंका, अस्सी, गोदौलिया की गलियों में सुबह के समय ठेले वालों से
चूड़ा मटर बनारसी लोगों का पसंदीदा नाश्ता है, खासकर ठंड के मौसम में. इसमें चूड़ा (पोहा), हरे मटर, मसाले और नींबू मिलाकर हल्का-फुल्का लेकिन बेहद स्वादिष्ट मिश्रण तैयार किया जाता है. ऊपर से हरी मिर्च, बारीक सेव और प्याज डालकर इसे और चटपटा बनाया जाता है.
ठंडई – स्वाद और ठंडक का अद्भुत संगम
कहाँ पिएं: ठंडई घर, दशाश्वमेध घाट, बनारस ठंडई सेंटर
ठंडई वाराणसी का एक पारंपरिक पेय है जिसे दूध, बादाम, खसखस, इलायची और गुलाब जल के साथ तैयार किया जाता है. होली के दौरान इसमें भांग मिलाने की परंपरा है, पर सालभर बिना भांग वाली ठंडई भी उपलब्ध रहती है. इसे पीकर शरीर और मन – दोनों को ठंडक मिलती है.
बनारसी पान – स्वाद नहीं, ये है परंपरा
कहाँ खाएं: गोदौलिया, लंका, चौक, सोनारपुरा
“काशी आए और पान ना खाया तो क्या खाया?” – ये कहावत बनारसी पान की लोकप्रियता को दर्शाती है. बनारसी पान को चांदी के वर्क, गुलकंद, सूखे मेवे और मसालों से सजाया जाता है. यह सिर्फ स्वाद ही नहीं देता, बल्कि खाने के बाद मुँह का जायका भी ताज़ा करता है.
बनारसी थाली – घर जैसा स्वाद, देसी अंदाज़ में
कहाँ खाएं: बमबम भोजनालय, श्री अन्नपूर्णा भोजनालय, काशी छप्पन भोग
अगर आप शुद्ध शाकाहारी और देसी भोजन के शौकीन हैं, तो बनारसी थाली जरूर ट्राय करें. इसमें दाल, चावल, सब्ज़ी, रोटी, पूड़ी, अचार, चटनी, पापड़ और मिठाई सब कुछ शामिल होता है. स्वाद इतना घर जैसा होता है कि आपको होटल का खाना भी घर की तरह लगेगा.
मलइयो – हवा से हल्की, स्वाद में भारी मिठाई
कहाँ खाएं: सर्दियों में चौक और ठठेरी बाजार
मलइयो (जिसे निमिष भी कहते हैं) एक ऐसी मिठाई है जो केवल सर्दियों की सुबह में बनती है. इसे दूध की झाग से तैयार किया जाता है और ऊपर से केसर, इलायची और पिस्ता डाला जाता है. इसका स्वाद हल्का, मीठा और बेहद नाज़ुक होता है। यह इतनी नाज़ुक होती है कि दोपहर तक खुद ही गल जाती है, इसलिए इसे सुबह ही खाया जाता है.
स्ट्रीट फूड – समोसा, टिकिया, भेल, चौमिन
कहाँ खाएं: हर चौक-चौराहे और कॉलेजों के पास ठेलों पर
अगर आप देसी स्टाइल स्ट्रीट फूड के शौकीन हैं, तो बनारस के समोसे, आलू टिकिया, भेलपुरी, चौमिन और मोमोज़ ज़रूर ट्राय करें. खासकर शाम के समय गलियों में ठेले लगते हैं, जहां हर तरह की चटपटी चीजें सस्ती और स्वादिष्ट मिलती हैं.
स्वाद के साथ संस्कृति का संगम
वाराणसी की यात्रा सिर्फ मंदिरों और घाटों तक सीमित नहीं होनी चाहिए. यहाँ का खानपान खुद एक यात्रा है स्वादों, परंपराओं और खुशबुओं की. बनारसी लोगों का अपनापन, उनके हाथों का बना खाना और गलियों की रंगत सब कुछ मिलकर एक अनोखा अनुभव देते हैं.
तो अगली बार जब आप काशी जाएं, तो इन सभी जायकों का आनंद ज़रूर लें. क्योंकि बनारस का असली स्वाद उसकी थाली और ठेले में ही बसता है.