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पुण्यतिथि विशेष: यूपी के पहले सीएम थे गोविंद बल्लभ पंत, गृह मंत्री रहते की थी भारत रत्न सम्मान देने की शुरुआत

भारतीय संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिलाने और जमींदारी प्रथा को खत्म कराने में गोविंद बल्लभ पंत का महत्वपूर्ण योगदान था. 7 मार्च के दिन वर्ष 1961 में हो गया था उनका निधन.

गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी थे. बाद में वह देश के गृह मंत्री भी बने. भारतीय संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिलाने और जमींदारी प्रथा को खत्म कराने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था. इनके गृह मंत्री रहते ही भारत रत्न सम्मान देने की शुरुआत की गयी. बाद में यही सम्मान उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा प्रदान किया गया.

उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ जन्म

गोविंद बल्लभ पंत का जीवन सार्वजनिक जीवन में एक मिसाल के तौर पर देखा जाता रहा है. गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर, 1887 में अल्मोड़ा जिला के खूंट गांव में हुआ था. गोविंद बल्लभ पंत महात्मा गांधी के जीवन दर्शन को अपनी आत्मिक ऊर्जा का स्रोत मानते रहे. शुरुआती शिक्षा अल्मोड़ा में ग्रहण करने के बाद वर्ष 1905 में गोविंद बल्लभ इलाहाबाद चले गये और 1907 में वकालत की डिग्री ली. इसके बाद 1910 में वापस अल्मोड़ा लौटे, जहां उन्होंने वकालत शुरू की.

अपने समय के नामी वकील थे पंत

9 अगस्त, 1924 को उत्तर प्रदेश में काकोरी कांड के नौजवानों को बचाने के लिए उन्होंने जान की बाजी लगा दी. इनकी वकालत का सभी लोग लोहा मानते थे. गोविंद बल्लभ पंत गांधीजी के अनन्य समर्थक होने के साथ-साथ क्रांतिकारी विचारधारा वाले स्वतंत्रता सेनानियों के भी मित्र थे. इस दौरान वे नैनीताल से स्वराज पार्टी के लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य थे. 1927 में राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ और उनके तीन अन्य साथियों को फांसी के फंदे से बचाने के लिए उन्होंने भरसक प्रयास किया. इस दौरान उन्होंने साइमन कमीशन बहिष्कार और नमक सत्याग्रह आंदोलन में भी भाग लिया और इसी वजह से मई 1930 में देहरादून जेल भी जाना पड़ा.

वर्ष 1950 में बने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री

गोविन्द बल्लभ पंत का मुकदमा लड़ने का ढंग निराला था, जो मुवक्किल अपने मुकदमों के बारे में सही जानकारी नहीं देते थे, पंत उनका मुकदमा नहीं लेते थे. अंग्रेज मजिस्ट्रेट की आपत्ति होने के बावजूद एक बार वे काशीपुर कोर्ट में धोती, कुर्ता तथा गांधी टोपी पहन कर चले गये थे. देश की आजादी के बाद गोविंद बल्लभ पंत 26 जनवरी, 1950 को उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने. गोविंद बल्लभ पंत अच्छे नाटककार भी थे. उनकी लिखी कई नाटकों को उच्च कोटि का माना जाता है.

Vivekanand Singh
Vivekanand Singh
Journalist with over 11 years of experience in both Print and Digital Media. Specializes in Feature Writing. For several years, he has been curating and editing the weekly feature sections Bal Prabhat and Healthy Life for Prabhat Khabar. Vivekanand is a recipient of the prestigious IIMCAA Award for Print Production in 2019. Passionate about Political storytelling that connects power to people.

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