आसनसोल.
गुरुवार को आसनसोल-दुर्गापुर विकास प्राधिकरण (एडीडीए) भवन के सभागार में पश्चिम बंगाल के हॉर्टिकल्चर विभाग की ओर से एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर लगाया गया. इसमें पश्चिम बर्दवान के सभाधिपति विश्वनाथ बाउरी, अतिरिक्त जिलाधिकारी विकास संजय पाल, एसडीएम विश्वजीत भट्टाचार्य तथा कृषि और एनबीएच के अधिकारी उपस्थित थे. इस बारे में एडीएम विकास संजय पाल ने बताया कि हॉर्टिकल्चर यानी उद्यान-कृषि असल में कृषि-विज्ञान की ही एक शाखा है. इसमें फल, फूल, सब्जियां, सजावटी पौधे व अन्य उपयोगी पौधों की खेती की जाती है. यह एक कला व विज्ञान दोनों है. जिसमें पौधों की वृद्धि, विकास, और देखभाल के साथ-साथ उनकी गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है. हॉर्टिकल्चर, कृषि का एक विशेष क्षेत्र है जो छोटे और अधिक नियंत्रित पैमाने पर पौधों की खेती पर केंद्रित है. जबकि कृषि व्यापक पैमाने पर अनाज और अन्य फसलों की खेती पर अधिक ध्यान केंद्रित करती है. सरकार भी हॉर्टिकल्चर को बढावा देने के लिये कई प्रोग्राम ला रही है. राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड(एनएचबी) कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का प्राथमिक उद्देश्य वित्तीय सहायता और तकनीकी सहायता देकर भारत में बागवानी क्षेत्र के एकीकृत विकास को बढ़ावा देना है. राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) बागवानी फसलों के उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जो कि फसलों की कटाई के बाद के प्रबंधन, कोल्ड चेन विकास और बाजार के बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है. हॉर्टिकल्चर खेती के अलावा रोजगार की एक वैकल्पिक व्यवस्था है. जिसके लिये किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए आसनसोल नगर निगम के अधीन विभिन्न ब्लॉक स्तर हीरापुर तथा कुल्टी के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. आनेवाले दिनों में डीएमसी तथा आठों ब्लॉक स्तर पर बागवानी को लेकर प्रशिक्षण प्रोग्राम आयोजित किया जायेगा. किसान उद्यान कृषि के माध्यम से ड्रैगन फल, सब्जियां, फूल, मसाले, जड़ी-बूटी आदि कई किस्म की खेती कर रोजगार बढ़ा सकते हैं. इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है. उसके बारे में भी विस्तार से बताया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है