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न्यू केंदा कोलियरी के पास धंसान से आतंक

इसीएल केंदा एरिया के अधीन न्यू केंदा कोलियरी के दो नंबर कहारपाड़ा के पास बुधवार सुबह करीब 9:30 बजे हुई भू-धंसान ने स्थानीय लोगों में दहशत फैला दी है. बारिश के दौरान जमीन धंसने से लगभग 10 फीट चौड़ा और 30 फीट गहरा गड्ढा बन गया है.

जामुड़िया.

इसीएल केंदा एरिया के अधीन न्यू केंदा कोलियरी के दो नंबर कहारपाड़ा के पास बुधवार सुबह करीब 9:30 बजे हुई भू-धंसान ने स्थानीय लोगों में दहशत फैला दी है. बारिश के दौरान जमीन धंसने से लगभग 10 फीट चौड़ा और 30 फीट गहरा गड्ढा बन गया है. सूचना पाते ही न्यू केंदा कोलियरी प्रबंधन ने आनन-फानन में धंसान स्थल की भराई कर घेराबंदी कर दी, लेकिन लगातार बारिश व पास में धंसान स्थल होने से कहारपाड़ा के लोगों में भय बना हुआ है

बार-बार हो रहा धंसान

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब इस इलाके में भू-धंसान हुआ है. आठ महीने पहले, 18 अक्टूबर को भी यहां एक भयानक भू-धंसान हुआ था, जिससे लगभग 50 फुट चौड़ा और 120 फुट गहरा गड्ढा बन गया था.स्थानीय निवासी शिवबालक राम ने बताया कि बुधवार सुबह बारिश के दौरान जमीन अचानक बैठ गई. उन्होंने यह भी बताया कि 10 साल पहले 2 नंबर कहार पाड़ा में पहली बार भू-धंसान हुआ था, उस समय ईसीएल प्रबंधन ने कुछ लोगों को स्थानांतरित किया था, लेकिन बाकी लोगों को पुनर्वासित नहीं किया गया.

इसीएल प्रबंधन पर उपेक्षा का आरोप

स्थानीय निवासियों ने ईसीएल प्रबंधन पर केवल कोयला उत्पादन पर ध्यान देने और सुरक्षा उपायों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है.सार्थक घोष ने कहा कि लगातार बारिश के कारण पास स्थित तेलो तालाब पानी से भर गया है, जिसका पानी रिसकर जमीन के अंदर ही अंदर धंसान स्थल तक पहुंच रहा है, जिससे धंसान का दायरा बढ़ रहा है. लखी घोष ने बताया कि न्यू केंदा ओसीपी में हो रही जोरदार ब्लास्टिंग से इस क्षेत्र की खोखली जमीन में कभी भी कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है.

अनुज सिंह ने आरोप लगाया कि ईसीएल प्रबंधन केवल मिट्टी भराई कर खानापूर्ति करता है, जबकि यहां रह रहे हजारों लोग डर के साए में जी रहे हैं. उन्होंने बताया कि धंसान स्थल के बगल में ही न्यू केंदा-पर्सिया मुख्य मार्ग है, जिस पर रोजाना सैकड़ों लोग आवागमन करते हैं, जिससे खतरा और बढ़ जाता है.

पुनर्वास की तत्काल मांग

स्थानीय निवासी संजय ओझा और विक्रम मिश्रा ने इसीएल प्रबंधन से तत्काल सभी प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर पुनर्वासित करने की व्यवस्था करने की मांग की है.संजय ओझा ने केंदा में पहले हुई भू-धंसान की घटना का भी जिक्र किया, जिसमें इसीएल के सीनियर ओवरमैन अजय मुखर्जी की जान चली गई थी, इसके बावजूद ईसीएल प्रबंधन की उदासीनता पर उन्होंने चिंता जतायी. विक्रम मिश्रा ने बताया कि बुधवार सुबह बारिश के दौरान अचानक उनके घर के पास जमीन धंस गई, जिससे घर के अंदर रहने में भी भय महसूस हो रहा है. उन्होंने कहा कि तालाब का पानी जमीन के अंदर से गोफ स्थल तक रिस रहा है, जिससे कभी भी कोई बड़ी भू-धंसान की घटना घटित हो सकती है.

भू-धंसान की घटना के तुरंत बाद बुधवार सुबह ही इसीएल प्रबंधन ने डोजर लगाकर मिट्टी भराई कर गड्ढे को भर दिया और कंटीले तार से घेराबंदी कर दी है. हालांकि, स्थानीय लोग स्थायी समाधान और तत्काल पुनर्वास की मांग कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी अनहोनी से बचा जा सके.

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