बांकुड़ा.
छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन कगार के नाम पर आदिवासियों की हत्या के विरोध में छतना प्रखंड के कमालपुर बाजार में आदिवासी अधिकार एवं विकास मंच की ओर से जुलूस निकाला गया और सभा आयोजित की गयी.मंच से उठे सवाल, जंगल और जमीन की लूट का आरोप
सभा को संगठन के अध्यक्ष सुधीर मुर्मू, सचिव सहदेव टुडू और राम निवास बास्के ने संबोधित किया. वक्ताओं ने छत्तीसगढ़ की घटना को राज्य प्रायोजित हिंसा करार दिया. मंच पर मौजूद भाकपा माले लिबरेशन के जिला सचिव बबलू बनर्जी ने कहा कि माओवाद के खिलाफ अभियान के नाम पर आदिवासियों को उजाड़ने और वन क्षेत्रों को अडानी जैसे कॉरपोरेट को सौंपने की योजना चल रही है. उन्होंने संसद में सरकार द्वारा दिसंबर 2018 में दिये गये उस बयान का हवाला दिया, जिसमें बताया गया था कि 2015 से 2018 के बीच 20,314 हेक्टेयर जंगल कॉरपोरेट को सौंप दिये गये.
बबलू बनर्जी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान प्रधानमंत्री ने देश की माताओं-बहनों के सिंदूर की बात कही, लेकिन मणिपुर से लेकर छत्तीसगढ़ तक आदिवासी महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों पर सरकार चुप है. उन्होंने कहा कि जिले में चार वर्षों से 100 दिनों का काम बंद है और जंगल पर काबिज आदिवासियों को पट्टा भी नहीं मिला है. सभा में आरोप लगाया गया कि हाल ही में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री राज्य में आये, लेकिन आदिवासियों के मुद्दों पर कुछ नहीं बोले. उल्टे समाज में विभाजन की राजनीति को और हवा देने की कोशिश की.सभा में घोषणा की गयी कि जल, जंगल और जमीन को बचाने की लड़ाई को राष्ट्रीय स्तर पर तेज किया जायेगा. इसके तहत 8-9 जून को रांची में देश भर के आदिवासी नेताओं का सम्मेलन आयोजित किया जायेगा.
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