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सीआरपीएफ के डीआइजी का दौरा, एचसीएल की भूमि का किया नक्शावार निरीक्षण

वर्ष 2017 में बंद हुई देश की पहली दूरसंचार केबल निर्माण करने वाली संस्था हिंदुस्तान केबल्स लिमिटेड (एचसीएल) रूपनारायणपुर इकाई की खाली पड़ी जमीन पर सीआरपीएफ के ट्रेनिंग कैंप और आवासीय नगरी बनने को लेकर चर्चा का बाजार गर्म हो गया है. दिल्ली से बुधवार को सीआरपीएफ के डीआइजी नदीम अख्तर अंसारी अपनी टीम के साथ रूपनारायणपुर पहुंचे और एचसीएल के पूरे इलाके का निरीक्षण किया. संस्था की कुल 947.23 एकड़ जमीन है, यह जमीन कहां-कहां है नक्शा के आधार पर इसकी जांच करके सारे इलाके में जाकर जमीन की वास्तविक स्थिति का निरीक्षण किया.

आसनसोल/रूपनारायणपुर.

वर्ष 2017 में बंद हुई देश की पहली दूरसंचार केबल निर्माण करने वाली संस्था हिंदुस्तान केबल्स लिमिटेड (एचसीएल) रूपनारायणपुर इकाई की खाली पड़ी जमीन पर सीआरपीएफ के ट्रेनिंग कैंप और आवासीय नगरी बनने को लेकर चर्चा का बाजार गर्म हो गया है. दिल्ली से बुधवार को सीआरपीएफ के डीआइजी नदीम अख्तर अंसारी अपनी टीम के साथ रूपनारायणपुर पहुंचे और एचसीएल के पूरे इलाके का निरीक्षण किया. संस्था की कुल 947.23 एकड़ जमीन है, यह जमीन कहां-कहां है नक्शा के आधार पर इसकी जांच करके सारे इलाके में जाकर जमीन की वास्तविक स्थिति का निरीक्षण किया. डीआइजी श्री अंसारी के दौरे के लेकर इलाके के लोगों में नयी सिरे से ममी जगने लगी है कि यहां कुछ तो होगा. सूत्रों ने बताया कि सीआरपीएफ का ट्रेनिंग कैंप और आवासीय नगरी के लिए डीआइजी का यह दौरा हुआ. उनके रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी. गौरतलब है कि वर्ष 1952 से लेकर 1992 पचास वर्षों तक हिंदुस्तान केबल्स ही देश में एकमात्र संस्था थी, जहां दूरसंचार केबल का निर्माण होता था. देश में दूरसंचार विभाग, रेलवे, डिफेंस आदि के जरूरत का केबल यही संस्था बनाती थी. वर्ष 1992 के बाद निजी संस्थाओं को इस क्षेत्र में अनुमति मिलने के बाद से ही यह संस्था धीरे-धीरे रूग्ण होती गयी. इसे सरकारी कुछ संस्थाओं के साथ विलय करने का भी सारा प्रयास विफल हुआ. आखिरकार वर्ष 2017 में सारे कर्मचारियों को वीआरएस देकर इस संस्था को बंद कर दिया गया. संस्था बंद होने के बाद यहां के कारखाना के सारे मशीन, शेड को नीलाम कर दिया गया. जहां कारखाना बना था, उसे खाली मैदान बना दिया गया.

निर्विवाद 947.23 एकड़ भूमि के लिए अनेकों संस्थाओं ने किया है निरीक्षण

यहां ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) की इकाई बनने को लेकर पहल हुई थी. लेकिन सफल नहीं हुआ. केंद्रीय सरकार ने इस जमीन पर नया कोई उद्योग लगाने, किसी बड़ी संस्था को देने या कोई फ्लैगशिप कार्यक्रम के लिए निर्धारित किया था. एक भी प्रयास सफल नहीं हुआ. कंपनी के नाम पर 947.23 एकड़ जमीन है. कारखाना लगाने के लिए यह जमीन राज्य सरकार ने ही एक रुपये कीमत पर केंद्र सरकार को मुहैया करायी थी. बाद में संस्था ने कुछ जमीन खरीदी भी थी. राज्य सरकार ने इस जमीन को अधिग्रहण करने की पहल की. जिसे लेकर सर्वे भी हुआ. सर्वे रिपोर्ट में यह बात सामने आयी कि कि 54.9 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण हुआ है, 511.04 एकड़ जमीन खाली पड़ी है, 332.4 एकड़ जमीन पर निर्माण कार्य है और 48.85 एकड़ जमीन पर तालाब या अन्य जलाशय है. इसकी रिपोर्ट राज्य मुख्यालय को जिला प्रशासन की ओर से भेजी गयी है. इस बीच सीआरपीएफ के डीआइजी का बुधवार दौरा हुआ.

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