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समय पर इलाज से ठीक हो जाता है तपेदिक : विशेषज्ञ

विश्व टीबी दिवस पर आइक्यू सिटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल,दुर्गापुर के पल्मोनोलॉजिस्ट विभाग की ओर से एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में आइक्यू सिटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, दुर्गापुर के एसोसिएट प्रोफेसर और मुख्य सलाहकार श्वसन, इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के डॉ प्रशांत कुमार मुख्य रूप से उपस्थित रहे.

दुर्गापुर.

विश्व टीबी दिवस पर आइक्यू सिटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल,दुर्गापुर के पल्मोनोलॉजिस्ट विभाग की ओर से एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में आइक्यू सिटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, दुर्गापुर के एसोसिएट प्रोफेसर और मुख्य सलाहकार श्वसन, इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के डॉ प्रशांत कुमार मुख्य रूप से उपस्थित रहे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं रही है. समय पर सही इलाज से मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है. इस वर्ष विश्व टीबी दिवस की थीम ””हां! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं”” रखी गई है.उन्होंने बताया कि भारत में टीबी अभी भी एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती है. कुपोषण और जागरूकता की कमी इसके प्रमुख कारण हैं. कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इस बीमारी की चपेट में जल्दी आ जाते है . भारत ने तपेदिक (टीबी) को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है.

प्रगति व उपलब्धि

भारत ने 2017 और 2020 के बीच अधिसूचनाओं में 35% की वृद्धि के साथ अपनी टीबी अधिसूचना प्रणाली को मजबूत किया है. देश ने वैश्विक औसत को पार करते हुए 81% की उपचार सफलता दर भी हासिल की है. इसके अलावा भारत ने टीबी देखभाल में निजी क्षेत्र को सफलतापूर्वक शामिल किया है, जिसमें 50% से अधिक निजी प्रदाता अब टीबी मामलों को अधिसूचित करते हैं.

चुनौतियां व चिंताएं

प्रगति के बावजूद भारत अभी भी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है. देश में दुनिया के 28% टीबी मामले हैं, और सालाना 2.7 मिलियन से अधिक नए मामले सामने आते हैं. भारत दवा प्रतिरोधी टीबी के उच्च बोझ से भी जूझ रहा है, 2020 में 100,000 से अधिक मामले सामने आए. इसके अलावा भारत में टीबी के रोगियों को अक्सर कलंक, गरीबी और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी देखभाल तक पहुँच में बाधा आती है.

नवाचार और भविष्य की दिशाएं

इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, भारत अभिनव समाधानों को अपना रहा है. देश टीबी निदान, उपचार और अनुपालन में सुधार के लिए मोबाइल ऐप और टेलीमेडिसिन जैसी डिजिटल तकनीकों का लाभ उठा रहा है. भारत टीबी देखभाल में स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, गैर सरकारी संगठनों और निजी प्रदाताओं को शामिल करते हुए समुदाय-आधारित देखभाल को भी मजबूत कर रहा है. इसके अतिरिक्त, देश टीबी से निपटने के लिए नए निदान, दवाओं और टीकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अनुसंधान और विकास में निवेश कर रहा है.उन्होंने कहा कि विश्व टीबी दिवस के इस मौके पर भारत और विश्व स्तर पर टीबी को समाप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करें.निरंतर प्रयासों और नवाचार के साथ, हम चुनौतियों को दूर कर सकते हैं और टीबी मुक्त दुनिया हासिल कर सकते हैं.

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