दुर्गापुर. शहर के सिटी सेंटर स्थित सृजनी हॉल में दुर्गापुर क्लब समन्वय की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सैयद मुशर्रफ हुसैन को ‘दुर्गापुर सम्मान 2025’ प्रदान किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पांडेश्वर विधानसभा के विधायक नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती उपस्थित थे, जिन्होंने अन्य विशिष्ट लोगों के साथ सैयद मुशर्रफ हुसैन को सम्मानित किया. श्री चक्रवर्ती ने कहा कि सैयद मुशर्रफ हुसैन एक प्रेरणा दायक नाम है, जिन्होंने यह साबित कर दिया है कि गांव का लड़का होने का मतलब पिछड़ा होना नहीं है. दृढ़ता, आत्मविश्वास और सही मार्गदर्शन से व्यक्ति अपना और समाज का भविष्य बदल सकता है. इनकी यात्रा निस्संदेह आज के युवाओं के लिए एक अनूठी प्रेरणा है.
परिचय
दुर्गापुर के फरीदपुर प्रखंड के तिलाबनी गांव निवासी सैयद मुशर्रफ हुसैन वर्तमान में पूर्वस्थली-2 सरकारी आइटीआइ में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं.ग्रामीण पृष्ठभूमि से राष्ट्रीय मंच तक का सफ़र
एक साधारण परिवार में जन्मे सैयद मुशर्रफ हुसैन बचपन से ही समाज के लिए कुछ करने का सपना देखते थे. हालांकि गरीबी और विपत्तियां उनके जीवन के साथी थे, फिर भी वे रुके नहीं. फरीदपुर प्रखंड के एक सरकारी स्कूल से माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार इंजीनियरिंग में डिप्लोमा, बीटेक और बाद में एम.टेक की पढ़ाई पूरी की. नवाचार के पीछे सेवाभाव : पारंपरिक नौकरी का रास्ता चुनने के बजाय, उन्होंने खुद को समाज की ज़रूरतों के लिए एक नवप्रवर्तक के रूप में विकसित किया है. किसी हमले की स्थिति में महिलाओं की रक्षा करने में मदद करते हैं. उन्होंने बाल सुरक्षा बैज, बस सुरक्षा अलार्म, गैस रिसाव डिटेक्टर सहित कई अन्य तकनीक-आधारित सामाजिक सुरक्षा उपकरण विकसित किये हैं. इन नवाचारों के लिए उन्हें आइआइटी, एआइसीटीई सहित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रशंसा मिली है और विभिन्न नवाचार प्रदर्शनियों और विज्ञान मेलों में सम्मानित किया गया है. उनका नाम इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स और वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है. उन्हें पश्चिम बंगाल सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से विशेष सम्मान प्राप्त हुआ है.शिक्षा में परिवर्तनकारी भूमिका
वर्तमान में, पूर्वस्थली-2 स्थित राजकीय आई.टी.आई. के प्रधानाचार्य के रूप में उन्होंने आधुनिक तकनीक का उपयोग करके शिक्षा प्रणाली में नये क्षितिज खोले हैं. उनके नेतृत्व में यह संस्थान नवाचार, अनुसंधान और कौशल विकास का केंद्र बन गया है. उनके प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में 2000 से अधिक छात्र प्रशिक्षित हो चुके हैं और आज अपने करियर में सफल हैं. अंतरराष्ट्रीय ख्याति और युवा आदर्श उन्हें 2025 में मुंबई में आयोजित एशिया एजुकेशन कॉन्क्लेव में “वर्ष के प्रधानाचार्य ” पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के युवा नवप्रवर्तक और जमीनी स्तर पर बदलाव लाने वाले के रूप में जाना जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है