आसनसोल.
इसीएल की भूमि अधिग्रहण नीति में बड़ा बदलाव हुआ है, जिससे अब जमीनदाताओं को ज्यादा मुनाफा मिलेगा. दो एकड़ जमीन पर एक नौकरी देने का प्रावधान है. नौकरी नहीं लेने के एवज में जमीनदाता को उस इलाके की जमीन की सरकारी कीमत के आधार पर रुपये मिलेंगे और साथ ही प्रति एकड़ पांच लाख रुपये के हिसाब से मिलेगा. नयी नीति में नौकरी नहीं लेने की सूरत में दो एकड़ जमीन पर न्यूनतम 89 लाख और अधिकतम 1.20 करोड़ रुपये भुगतान का नियम लागू किया गया है. न्यूनतम और अधिकतम राशि उस इलाके की जमीन की कीमत के आधार पर तय होगी. इसके अलावा दूसरी पॉलिसी के तहत जमीनदाता यदि एकमुश्त जमीन का पैसा नहीं लेता है और नौकरी भी नहीं लेता है, तो उसे प्रति एकड़ पांच लाख रुपये के साथ अगले 30 वर्षों तक 30 हजार रुपये प्रतिमाह की पेंशन मिलती थी. जिसमें एक प्रतिशत की बढ़ोतरी हर साल होने का नियम था. इस नीति में भी बदलाव किया गया और पेंशन की राशि 44 हजार रुपये से शुरू हुई, जो 45 वर्षो तक दी जायेगी और इसमें हर साल एक फीसदी करके बढ़ोतरी होती जायेगी. उस दरम्यान अगर जमीनदाता की मौत हो जाती है, तो उसके आश्रित को यह पेंशन उतने दिनों तक जारी रहेगी. मंगलवार को यह जानकारी इसीएल के अध्यक्ष-सह – प्रबंध निदेशक (सीएमडी) सतीश झा ने यहां इसीएल मुख्यालय में संवाददाताओं को दी. मौके पर कंपनी के वित्त निदेशक मोहम्मद अंजार आलम, कार्मिक निदेशक गुंजन कुमार सिन्हा व अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे. सीएमडी श्री झा ने कहा कि कोल इंडिया मुख्यालय कोलकाता में सोमवार को 350 वें बोर्ड मीटिंग में जमीन अधिग्रहण की नीति में बदलाव की मंजूरी मिली. इससे जमीन दाताओं को काफी लाभ मिलेगा. हाल के दिनों में यह देखा जा रहा है कि जमीन के बदले नौकरी में जो युवक-युवती आ रहे हैं वे काफी शिक्षित होते हैं. उन्हें यहां जनरल असिस्टेंस के पद पर बहाली होती है. अंडरग्राउंड में उन्हें गाड़ियां ठेलनी पड़ती है. यह कार्य उनकी योग्यता के साथ मेल नहीं खाती है और उनका एक बेहतर भविष्य नष्ट हो जाता है. जमीन अधिग्रहण नीति में इस बदलाव से जमीनदाता काफी लाभान्वित होंगे. जमीन के बदले उन्हें एकमुश्त जो राशि मिलेगी उससे वह नया कोई रोजगार शुरू कर सकते हैं. उनके घर में यदि नौकरी की जरूरत नहीं है तो पैसे को अपने हिसाब से उपयोग कर सकते हैं. संशोधित वार्षिक योजना (पेंशन) की राशि भी इतनी बढ़ा दी गयी है कि एक परिवार के लिए आसानी से जिंदगी का गुजर बसर हो जाएगा. इसके अलावा वह अन्य कोई भी कार्य कर सकता है. इन दोनों नीतियों के आने से जमीनदाताओं को काफी लाभ मिलेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है