आसनसोल/रूपनारायणपुर.
लाइलाज रोग सिलिकोसिस को लेकर प्रशासन की परेशानी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. सालानपुर ब्लॉक अंचल सिलिकोसिस का हब बन गया है. यहां पिछले छह माह के अंदर पांच मरीजों की पुष्टि हुई है. जिन्हें सिलिकोसिस मरीज होने का सराकरी प्रमाणपत्र दिया गया. जिसमें से एक मरीज सालानपुर थाना क्षेत्र के फुलबेड़िया बोलकुंडा ग्राम पंचायत अंतर्गत पाताल इलाके के निवासी सोरेन बाउरी को बुधवार सिलिकोसिस मरीज का प्रमाणपत्र दिया गया. जिला में कुल मरीजों की सात है, जिसमें से अकेले सालानपुर ब्लॉक के ही पांच मरीज है. कुल्टी इलाके से दो लोग वर्षो पहले सिलिकोसिस पॉजिटिव चिन्हित हुए थे. दोनों की मौत हो चुकी है और उसके आश्रित को सराकरी राहत मिल रही है. पूरे जिले में अकेले सालानपुर ब्लॉक से ही पिछले छह माह में पांच मरीज मिलने पर प्रशासन के लिए चुनौती बढ़ गयी है. गौरतलब है कि सालानपुर प्रखंड के देंदुआ ग्राम पंचायत अंतर्गत रामडी इलाके के निवासी व पेशे से शिक्षक तथा एक्टिविस्ट अमरनाथ महतो सिलिकोसिस रोग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं. इस मुद्दे को लेकर उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में दो-दो शिकायतें की हैं. इसके बावजूद कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिल रहा था. इस मुद्दे को लेकर उन्होंने प्रभात खबर से संपर्क किया. प्रभात खबर में सिलिकोसिस की कवरेज को लेकर सिलसिलेवार ढंग से खबरें छपने लगीं, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आ गया और सिलिकोसिस के मरीजों को चिह्नित करने के लिए तीन जनवरी 2025 को पहली बार स्क्रीनिंग कैंप सालानपुर प्रखंड क्षेत्र के अल्लाडी ग्राम पंचायत अंचल के बराभुईं गांव में लगाया गया. उसके बाद से नियमित अंतराल पर ऐसे शिविर लगने लगे और औद्योगिक परिसरों का प्रशासनिक अधिकारी दौरा भी करने लगे. तीन जनवरी के पहले तक पूरे जिले में सिलिकोसिस मरीजों की संख्या दो थी. ये दोनों मारे जा चुके हैं. प्रशासन की सक्रियता के बाद छह माह में नये पांच मरीज चिह्नित हुए. श्री महतो का दावा है कि इलाके मरीजों की संख्या और भी निकलेगी.12 वर्षों से स्टोन क्रशर में कार्यरत सोरेन बाउरी सिलिकोसिस पॉजिटिव
सिलिकोसिस को लेकर यह धारणा थी कि रैमिंग मास इंडस्ट्री (क्वार्ज पत्थर को डस्ट करने का कारखाना) में काम करनेवाले श्रमिकों को ही सीलिकोसिस होने की संभावना रहती है. हालांकि सालानपुर प्रखंड में स्टोन क्रशरों में काम करनेवाले श्रमिकों को यह बीमारी हो रही है. जिन पांच मरीजों की पुष्टि हुई है, सभी स्टोन क्रशर में काम करते थे. श्री महतो का कहना है कि काम के दौरान श्रमिकों के सुरक्षा को लेकर प्रबंधन की उदासीनता के कारण ही इनलोगों को यह बीमारी हुई है. यहां कारखाना सिरामिक्स का है लेकिन गिट्टी तैयार किया जाता है. जनवरी माह में जो चार मरीज चिन्हित हुए थे, उसमें से एक रामडी इलाके का निवासी मनिलाल हेमब्रम की मौत हो चुकी है बाकी तीन बराभुईं गांव के रवि मुर्मू, सुबोधन मरांडी और निर्मल राय की हालत खराब है. सरकार की ओर से दो लाख रुपये का मुआवजा मिला है, चार हजार रुपये का पेंशन शुरू नहीं हुआ है. श्रम विभाग के आधकारी ने बताया कि जल्द ही पेंशन भी शुरू हो जाएगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है