आसनसोल. 11 नाबालिगों के बरामदगी का मामला आसनसोल जीआरपी के इतिहास में अबतक की सबसे बड़ी कामयाबी के रूप सामने आयी है. इतनी बड़ी संख्या में नाबालिगों की बरामदगी एकसाथ कभी नहीं हुई. इन ग्यारह नाबालिगों में से पांच झारखंड (तीन गिरिडीह, दो देवघर) के और छह बिहार (पांच जमुई, एक लखीसराय) के हैं. इन सभी को गुरुवार चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश किया गया. जहां से उन्हें बीरभूम जिला के विष्णुपुर में स्थित होम में भेज दिया गया. बाल तस्करी के आरोप में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. जिसमें गिरिडीह (झारखंड) जिला के गिरिडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत बरडिया गांव का निवासी दीपक कुमार दास (18), बीरभूम (पश्चिम बंगाल) जिला के किन्नहर थाना क्षेत्र अंतर्गत किन्नहर गांव का निवासी विश्वनाथ दोलुई (25), देवघर (झारखंड) जिला के चरपा थाना क्षेत्र अंतर्गत लाहाजर गांव का निवासी उमेश पहारिया (24), जमुई (बिहार) जिला के सोना थाना क्षेत्र अंतर्गत लखरा गांव का निवासी राधे मांझी (24) और लखरा गांव का ही राजेश मांझी (29) को गिरफ्तार किया गया. इन सभी पर आसनसोल जीआरपी कांड संख्या 35/25 में बीएनएस की धारा 143(3)/(5) और जुबेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) एक्ट 2015 की धारा 76/79 तथा चाइल्ड लेबर (प्रोहिबिशन रेगुलेशन) एक्ट 1986 की धारा 14 के तहत मामला दर्ज किया गया है. सभी आरोपियों को गुरुवार अदालत में पेश किया गया. जहां उनकी जमानत याचिका खारिज हो गयी और सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. क्या है पूरा मामला बुधवार को अपरान्ह साढ़े तीन बजे जसीडीह-तांब्रम एक्सप्रेस ट्रेन में आसनसोल जीआरपी और आरपीएफ की टीम ने आसनसोल स्टेशन पर संयुक्तरूप से अभियान चलाकर बाल तस्करी के बड़े मामले को नाकाम कर दिया. इस मामले में एक महिला सहित कुल 32 को हिरासत में लेकर जीआरपी ने पूछताछ शुरू की. जांच के क्रम में पाया गया कि इनमें से 11 नाबालिग हैं. इन सभी को अलग किया गया. इसमें से 12 को एजेंट के रूप में चिन्हित करके पूछताछ शुरू हुई. एक महिला सहित नौ अन्य यात्रियों को पूछताछ के बाद रात को छोड़ दिया गया. 12 एजेंटों में से उक्त पांच की पुष्टि बाल तस्कर के रूप में हुई. उन्हें गिरफ्तार करके बाकी सात को छोड़ दिया गया. गुरुवार को पांचों आरोपियों को आसनसोल अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. 11 नाबालिगों को सीडब्ल्यूसी में पेश किया गया, यहां से बच्चों को विष्णुपुर होम में भेज दिया गया. कैसे हुआ इस कांड का भंडाफोड़ जीआरपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जसीडीह-तांब्रम एक्सप्रेस ट्रेन में बच्चों के तस्करी की सूचना उनलोगों को मिल गयी थी. यह सूचना चक्रधरपुर जीआरपी तक भी पहुंच गयी थी. बुधवार को जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म पर रुकी पहले से तैयार आरपीएफ और जीआरपी की टीम ने ट्रेन की बोगी की जांच शुरू कर दी. एक जनरल डिब्बे में भारी संख्या में बच्चों को देखकर कुछ शक हुआ. जिसके आधार पर एक दो बच्चों से पूछताछ करते ही पता चल गया कि इन्ही बच्चों को तस्करी के लिए ले जाया जा रहा है. इनकी टीम में एक महिला सहित कुल 32 लोग शामिल थे. सभी को पूछताछ के लिए रोक लिया गया. जांच के क्रम में 11 नाबालिग बच्चे मिले. इन बच्चों के बयान के आधार पर उक्त पांच एजेंटों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई. बाकी सभी को छोड़ दिया गया. बच्चों और उनके अभिभावकों ने पूछताछ में बताया कि यहां से तीन गुणा अधिक दिहाड़ी हाजिरी देने की बात कहकर वे लोग इन बच्चों को चेन्नई ले जा रहे थे.
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