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बीसीआरइसी में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सीआइएकॉन 2025 आयोजित

कार्यक्रम में एनआइटी दुर्गापुर के पूर्व निदेशक प्रो अनुपम बसु, डॉ बीसी रॉय सोसाइटी के मुख्य सलाहकार प्रो सैकत मैत्रा, महासचिव तरुण भट्टाचार्य और कोषाध्यक्ष जरनैल सिंह भी उपस्थित थे.

सम्मेलन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और तकनीकी विकास पर मंथन दुर्गापुर. डॉ बीसी रॉय इंजीनियरिंग कॉलेज, दुर्गापुर (बीसीआरईसी) के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग की ओर से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ””””सीआईएकॉन 2025”””” का आयोजन किया गया. यह सम्मेलन कंप्यूटिंग इंटेलिजेंस और अनुप्रयोग पर केंद्रित था.

सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रो रघुनाथ के शेवगांवकर, पूर्व निदेशक आइआइटी दिल्ली और एमेरिटस प्रोफेसर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आइआइटी बॉम्बे द्वारा किया गया. कार्यक्रम में एनआइटी दुर्गापुर के पूर्व निदेशक प्रो अनुपम बसु, डॉ बीसी रॉय सोसाइटी के मुख्य सलाहकार प्रो सैकत मैत्रा, महासचिव तरुण भट्टाचार्य और कोषाध्यक्ष जरनैल सिंह भी उपस्थित थे.

आईईईई कोलकाता सेक्शन के कोषाध्यक्ष प्रो सुशांत रॉय, अध्यक्ष सुपर्णा कर चौधरी, एमएकेएयूटी के प्रो देबाशीष गिरि और सीएसआई कोलकाता चैप्टर के पूर्व अध्यक्ष तथा आईईआई दुर्गापुर सेक्शन के अध्यक्ष प्रो चंदन कोनेर भी मंच पर मौजूद थे. एआई के संभावित खतरे और मानवीय मूल्यों की रक्षा पर जोर

प्रो शेवगांवकर ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि इंजीनियरों में सामाजिक मूल्य होने चाहिए और उन्हें मानव जीवन के विकास के लिए एआई जैसी तकनीकों का उपयोग करना चाहिए. उन्होंने चेताया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव मस्तिष्क की जगह ले रही है, जो खतरनाक है. इसे समाज की समृद्धि के लिए एक साधन के रूप में देखा जाना चाहिए.

प्रो बसु ने कहा कि तकनीकी विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुंचना चाहिए. उन्होंने यह भी चिंता जताई कि प्रौद्योगिकी हमारे पारस्परिक संबंधों को प्रभावित कर रही है और इसे मानवीय संवेदनाओं पर हावी नहीं होने देना चाहिए.

सम्मेलन में विचार-विमर्श और पुस्तिका का विमोचन

प्रो सैकत मैत्रा ने कहा कि ऐसे सम्मेलन शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के बीच विचारों के आदान-प्रदान के लिए आवश्यक हैं. उन्होंने कहा कि भारत के पास मौजूद संसाधनों का समुचित उपयोग कर देश को विकास की ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है. सम्मेलन की कार्यवाही पुस्तिका का विमोचन प्रो शेवगांवकर और प्रो बसु ने संयुक्त रूप से किया. स्वागत भाषण प्रो संजय एस पवार ने दिया और परिचयात्मक भाषण आयोजन समिति के अध्यक्ष तथा सीएसई विभागाध्यक्ष डॉ अरिंदम घोष ने दिया. धन्यवाद ज्ञापन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुमना कुंडू ने प्रस्तुत किया.

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