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डब्ल्यूबीसीएस का नया पैटर्न है अड़ंगा, ताकि सिविल सर्विस में ना आयें भाषाई अल्पसंख्यक

डब्ल्यूबीसीएस (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा के नये पैटर्न व सिलेबस से हिंदी, उर्दू व संताली भाषा को हटाये जाने के विरोध में प्रभात खबर ने जो मुहिम छेड़ी है, उसका असर सोमवार को नॉर्थ बंगाल में दिखा. डुआर्स तराई आदिवासी स्टूडेंट्स फोरम (डीटीएएसएफ) के बैनर तले 10 आदिवासी संगठनों ने एकजुट होकर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया और मालबाजार बस स्टैंड से रैली की शक्ल में महकमा शासक कार्यालय पहुंचे, जहां प्रदर्शन किया गया और महकमा शासक शुभम कुंडल को ज्ञापन दिया.

आसनसोल/सिलीगुड़ी.

डब्ल्यूबीसीएस (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा के नये पैटर्न व सिलेबस से हिंदी, उर्दू व संताली भाषा को हटाये जाने के विरोध में प्रभात खबर ने जो मुहिम छेड़ी है, उसका असर सोमवार को नॉर्थ बंगाल में दिखा. डुआर्स तराई आदिवासी स्टूडेंट्स फोरम (डीटीएएसएफ) के बैनर तले 10 आदिवासी संगठनों ने एकजुट होकर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया और मालबाजार बस स्टैंड से रैली की शक्ल में महकमा शासक कार्यालय पहुंचे, जहां प्रदर्शन किया गया और महकमा शासक शुभम कुंडल को ज्ञापन दिया. श्री कुंडल ने सकारात्मक आश्वासन देते हुए कहा कि वे उनकी मांगों को राज्य के उच्चाधिकारियों तक पहुंचा देंगे और इस मुद्दे को लेकर यहां की जमीनी हकीकत से भी अवगत करा देंगे. डीटीएएसएफ के संयोजक डॉ जय प्रफुल्ल लाकड़ा ने कहा कि डब्ल्यूबीसीएस (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा में 300 नंबर का अनिवार्य पेपर को सिर्फ बांग्ला व नेपाली भाषा ही देने का नया नियम लागू कर दिया है. जबकि पुराने पैटर्न में इन दो भाषाओं के साथ हिंदी, उर्दू व संताली भाषा में भी परीक्षा देने का प्रावधान था. सरकार के इस निर्णय से डुआर्स व तराई क्षेत्रों में रहनेवाले आदिवासी बच्चे जो हिंदी माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं, उनके लिए यह परीक्षा में बैठना ही मुश्किल हो जायेगा, जिससे सरकारी सेवाओं में उनका प्रतिनिधित्व कम हो जायेगा. इसे लेकर ही सोमवार को मालबाजार के महकमा शासक को ज्ञापन दिया गया. उम्मीद है कि सरकार अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेगी, अन्यथा आगे आंदोलन होगा.

गौरतलब है कि डब्ल्यूबीसीएस (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा में पैटर्न व सिलेबस में बदलाव को लेकर 15 मार्च 2023 को राज्य सरकार की अधिसूचना जारी की गयी थी, जिसमें पेपर-ए की परीक्षा 300 नंबर की करते हुए इसे सिर्फ दो भाषाओं बांग्ला व नेपाली में देने का प्रावधान लागू कर दिया. नेपाली बस हिल।एरिया के स्थायी नागरिकों के लिए होगा. पुराने पैटर्न में यह पेपर 200 नंबर का था और इसे पांच भाषाओं हिंदी, उर्दू, संताली, बांग्ला व नेपाली में देने का प्रावधान था. नये सिलेबस व पैटर्न से गैर बांग्ला माध्यम के विद्यार्थियों के लिए इस परीक्षा में बैठने के लिए सोचना भी कठिन हो गया, उत्तीर्ण होना तो दूर की बात. इसे लेकर प्रभात खबर ने मुहिम शुरू की और लोग इससे जुड़ते गये. आखिरकार दबाव में आकर वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पुराने पैटर्न के आधार पर सभी पांच भाषाओं को लागू करने की घोषणा की. चुनाव समाप्त होते ही 24 जुलाई 2024 को फिर अधिसूचना जारी करके नये पैटर्न को ही लागू कर दिया गया. इसकी आधिकारिक सूचना वेबसाइट पर कुछ दिनों पहले जारी किया. प्रभात खबर ने फिर मुहिम शुरू की और इसे लेकर राज्य भर में गैर बांग्ला माध्यम के विद्यार्थी एकजुट होकर अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए आंदोलन शुरू किया है. जिसके तहत ही सोमवार को मालबाजार में आंदोलन हुआ.

आंदोलन में डुआर्स तराई के आदिवासी संगठनों की साझा हुंकार

सोमवार को डीटीएएसएफ के बैनर तले मालबाजार में जो आंदोलन हुआ, उसमें आदिवासी स्टूडेंट्स एसोसिएशन नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष सारोन दास एक्का, सलाहकार जेरेलडिना मुचवार, नॉर्थ बंगाल ट्राइबल यूथ एसोसिएशन के अध्यक्ष रोशन एक्का, ऑल इंडिया आदिवासी लिबरेशन फ्रंट के अध्यक्ष राजचिक बराईक, ओरांव समाज समन्वय समिति के अध्यक्ष हेमंत कुजूर, सचिव राजेश मिंज, इंडिजेनस सेंटर फॉर आदिवासी राइट एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष नेह अर्जुन इंदवार, भारतीय मुनिवासी आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष राजेश लाकड़ा, यूनाइटेड फोरम फॉर आदिवासी राइट के अध्यक्ष पासकेल सैल्सओ, आदिवासी ग्राम सभा के अध्यक्ष चंदन लोहार, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष गेरेड पुर्ती, राजी परहा सरणा प्रार्थना सभा भारत के अध्यक्ष अजय ओरांव अपने संगठन के सदस्यों के साथ उपस्थित थे और मालबाजार महकमा शासक कार्यालय के समक्ष सभा को संबोधित कारते हुए अपनी बातें रखीं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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