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33 वर्षों के बाद रानीगंज मारवाड़ी सम्मेलन के चुनाव में पड़े 359 वोट

मारवाड़ी समाज के लिए आज का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब 33 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद मारवाड़ी युवा सम्मेलन के चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई.

रानीगंज.

मारवाड़ी समाज के लिए आज का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब 33 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद मारवाड़ी युवा सम्मेलन के चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई. गुरुवार सुबह 10:00 बजे से रानीगंज स्थित युवा सम्मेलन के भवन में यह बहुप्रतीक्षित चुनाव संपन्न हुआ, जिसमें समाज के दो प्रमुख गुट — समाज बंधु और मारवाड़ी युवा संघ — आमने-सामने हैं.

इस चुनाव में कुल 489 आजीवन तथा साधारण सदस्य मतदाता तथा 354 दाता मतदाता में दोनों मिलाकर 359 मतदान हुए. मतदान का माहौल शांतिपूर्ण और उत्साहपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुई,महिला मतदाताओं ने भी मताधिकार प्रयोग किये.मतगणना भी आज ही देर शाम तक सम्पन्न हो जाएगी. कुल 16 उम्मीदवार उम्मीदवारी कर रहे है,जिनमें 7 आजीवन तथा साधारण सदस्य तथा 2 दाता जिन्हें क्रमशः अधिक मत प्राप्त होंगे वह 13 सदस्यीय कमिटी गठित करेंगे.नई समिति का कार्यकाल दिसंबर 2026 तक होगी.

चुनाव का संचालन व पारदर्शिता

चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए राजीव जैन, महेश कालोटिया और अभिषेक पोद्दार को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं.

समाज बंधु गुट की ओर से चुनाव लड़ रहे इस चुनाव के सबसे वरिष्ठ उम्मीदवार ओमप्रकाश बाजोरिया ने कहा की 33 वर्षों बाद यह चुनाव समाज के लिए एक नई शुरुआत है.हम समाज के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमें भरोसा है कि मतदाता हमारे घोषणापत्र को ध्यान से पढ़कर सही निर्णय लेंगे,जबकि मारवाड़ी युवा संघ के उम्मीदवार संजय झुनझुन वाला का कहना है सबसे बड़ी कुसी की बात यह है कि लंम्बे अंतराल के पश्चात निर्वाचन हुई,चुनाव में जो भी हार जीते वह मायने नही रखती है,सभी को मिलकर समाज को संगठित हो कर इसे आगे ले जाने के लिए कार्य करना है.

दोनों गुटों का दावा है कि उनकी नीति और दृष्टिकोण समाज की उन्नति के लिए बेहद जरूरी हैं. जहां समाज बंधु समूह पारदर्शिता, एकजुटता और युवा भागीदारी को प्राथमिकता दे रहा है, वहीं मारवाड़ी युवा संघ सामाजिक सेवा और परंपराओं के संरक्षण की बात कर रहा है.

मारवाड़ी युवा सम्मेलन का यह चुनाव केवल नेतृत्व चुनने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि समाज के भविष्य की दिशा तय करने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है. परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन इतने वर्षों बाद समाज में लोकतांत्रिक जागरूकता की यह लहर निश्चित रूप से एक नई शुरुआत का संकेत है.समाज के लोग अब श्री सीतारामजी भवन एस्टेट के अंतर्गत ही चलने वाली कन्हैया लाल भगवान दास सराफ स्मृति भवन की परिचालन समिति की निर्वाचन की मांग करने लगे है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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