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कोल इंडिया और श्रमिकों के हित में 23 से आंदोलन करेगा बीएमएस

सोमवार को रानीगंज स्थित टीबी अस्पताल परिसर में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के कार्यालय में एक बैठक की गयी. इसका नेतृत्व अखिल भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय कोयला एवं उद्योग प्रभारी के. लक्ष्मण रेड्डी ने किया, जिसमें संगठन को मजबूत बनाने, कोल इंडिया को बचाने और श्रमिक हितों की रक्षा के तरीकों पर विस्तृत चर्चा हुई.

जामुड़िया.

सोमवार को रानीगंज स्थित टीबी अस्पताल परिसर में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के कार्यालय में एक बैठक की गयी. इसका नेतृत्व अखिल भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय कोयला एवं उद्योग प्रभारी के. लक्ष्मण रेड्डी ने किया, जिसमें संगठन को मजबूत बनाने, कोल इंडिया को बचाने और श्रमिक हितों की रक्षा के तरीकों पर विस्तृत चर्चा हुई. बैठक में कोल इंडिया प्रबंधन द्वारा कथित तौर पर श्रमिकों के अधिकारों के दमन के खिलाफ आंदोलन की रणनीति भी तय की गयी. बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में के. लक्ष्मण रेड्डी ने मजदूरों के विभिन्न मसलों को लेकर बीएमएस के आगामी अभियान की घोषणा की. बताया कि 23 जुलाई से 17 सितंबर तक अभियान चलाया जायेगा, जिसका मुख्य उद्देश्य कोल इंडिया को बचाना और मजदूरों का शोषण रोकना है.

कोल इंडिया पर गंभीर आरोप और बीएमएस की चिंताएं

के. लक्ष्मण रेड्डी ने कोल इंडिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी को केवल उत्पादन चाहिए, चाहे वह श्रमिकों का शोषण करके हो या सुरक्षा को ताक पर रखकर उन्होंने कहा की पहले कोल इंडिया में स्थायी मजदूरों की संख्या 6 लाख थी, जो अब घटकर 2 लाख से भी कम हो गई है. कोयला उत्पादन में वृद्धि मुख्य रूप से एमडीओ मॉडल, आउटसोर्सिंग, ठेका मजदूर और कोल ब्लॉक शेयरिंग के माध्यम से की जा रही है.

जहां स्थायी मजदूरों को उचित पारिश्रमिक मिलता है, वहीं ठेका मजदूरों को उसका 10% भी नहीं दिया जा रहा है.जिन मजदूरों को कम से कम 1200 की दिहाड़ी मिलनी चाहिए, उन्हें मात्र 400 से 600 दिए जा रहे हैं. कंपनी में अब 80% ठेका श्रमिक हो गए हैं, जबकि स्थायी श्रमिकों का प्रतिशत घटकर 20% रह गया है. बीएमएस इस स्थिति को अस्वीकार्य मानती है.ठेका मजदूरों से 12 से 15 घंटे तक काम कराया जा रहा है. उन्हें उनके हक की मजदूरी नहीं मिल रही, सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है, परिवार के स्वास्थ्य को लेकर कोई सुविधा नहीं है और रहने के लिए घर भी नहीं है.

लक्ष्मण रेड्डी ने चेतावनी दी कि यदि यही स्थिति बनी रही, तो अगले 10 से 15 वर्षों में कोल इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादन कंपनी न रहकर केवल एक ठेका कंपनी बनकर रह जाएगा. भारतीय मजदूर संघ ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए मांग की है कि कंपनी में कम से कम 50% स्थायी मजदूर होने चाहिए और ठेका श्रमिकों का अनुपात भी 50% तक सीमित किया जाए. ठेका मजदूरों को उनके हक की मजदूरी, सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ और आवास उपलब्ध कराए जाने चाहिए. संगठन ने सभी श्रमिकों से एकजुट होकर कोल इंडिया कंपनी को बचाने का आह्वान किया, क्योंकि वर्तमान कार्यप्रणाली से कंपनी का भविष्य खतरे में है.

के. लक्ष्मण रेड्डी ने इस बात पर जोर दिया कि कोल इंडिया 50 वर्षों से देश की सेवा कर रही है और इस वर्ष अपनी स्वर्ण जयंती मना रही है. उन्होंने स्वीकार किया कि कोयला उत्पादन देश के विकास और बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक है, लेकिन उत्पादन के तरीके को लेकर उनका कोल इंडिया से मतभेद है. बैठक में अखिल भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय कोयला एवं उद्योग प्रभारी के. लक्ष्मण रेड्डी के साथ-साथ बीएमएस के महामंत्री मृत्युंजय सिंह, खान श्रमिक कांग्रेस के अध्यक्ष विनोद सिंह, मनोज चौबे, धनंजय पांडे, जयनाथ चौबे, और दयाशंकर नोनिया सहित संगठन के अन्य सदस्य उपस्थित थे.

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