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काजी नजरुल इस्लाम की विरासत के स्थानांतरण को लेकर उपजा विवाद

जामुड़िया विधानसभा क्षेत्र के अधीन कविगुरु काजी नजरुल इस्लाम के जन्मस्थान चुरुलिया स्थित ‘कवितीर्थ चुरुलिया नजरुल एकेडमी’ ने राज्य सरकार पर विद्रोही कवि की स्मृति व सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने की कोशिश करने का गंभीर आरोप लगाया है.

जामुड़िया.

जामुड़िया विधानसभा क्षेत्र के अधीन कविगुरु काजी नजरुल इस्लाम के जन्मस्थान चुरुलिया स्थित ‘कवितीर्थ चुरुलिया नजरुल एकेडमी’ ने राज्य सरकार पर विद्रोही कवि की स्मृति व सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने की कोशिश करने का गंभीर आरोप लगाया है. अकादमी के पदाधिकारियों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि वे कवि नजरुल के स्मृति-चिह्न को किसी भी कीमत पर स्थानांतरित नहीं होने देंगे.

अस्तित्व मिटाने की साजिश

एकेडमी के सदस्यों ने आरोप लगाया कि सरकार योजनाबद्ध ढंग से विद्रोही कवि के अस्तित्व को मिटाने का प्रयास कर रही है. संवाददाताओं से बात करते हुए अकादमी के वरिष्ठ सदस्य व कवि नजरुल परिवार के सदस्य अली रेजा, सोनाली काजी व और स्थानीय संस्कृतिप्रेमियों ने कहा कि नजरुल के जन्मस्थान को लेकर बन रही योजनाएं राजनीति से प्रेरित हैं और सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ हैं.

नजरुल विश्वविद्यालय में स्थानांतरण का विरोध

उन्होंने बताया कि सरकार स्मृति चिह्न को चुरुलिया से आसनसोल स्थित नजरुल विश्वविद्यालय में स्थानांतरित करने की योजना बना रही है. एकेडमी का कहना है कि यह कदम न केवल असंवैधानिक है, बल्कि नजरुल की स्मृति और चुरुलिया की पहचान को भी नुकसान पहुंचाएगा.एकेडमी के संस्थापक सदस्यों में से एक ने भावुक होकर कहा, “यह केवल एक कवि की बात नहीं है, यह एक पूरे युग की विरासत है. काजी नजरुल इस्लाम सिर्फ बंगाल ही नहीं, बल्कि पूरे उपमहाद्वीप की धरोहर हैं. चुरुलिया उनका जन्मस्थान है, यह जमीन उनकी आत्मा से जुड़ी हुई है. ऐसे में उनकी स्मृति को यहां से हटाना उनकी आत्मा के साथ अन्याय है.”

धन के दुरुपयोग का आरोप

एकेडमी की सचिव ने आरोप लगाया कि चुरुलिया में नजरुल के नाम पर विभिन्न परियोजनाओं के लिए बड़ी राशि स्वीकृत हुई थी, लेकिन उसका पारदर्शी उपयोग नहीं हुआ.उन्होंने दावा किया कि नजरुल के नाम पर रुपये का बंदरबांट किया गया है और विकास के नाम पर केवल भ्रष्टाचार हुआ है.

‘विश्वविद्यालय कर रहा मनमानी’

कवि काज़ी नजरुल इस्लाम के भतीजे काजी अली रजा ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि काजी नजरुल विश्वविद्यालय द्वारा ‘मनमानी’ की जा रही है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. साधन चक्रवर्ती के साथ उनकी एकेडमी की यह बात हुई थी कि काजी नजरुल इस्लाम से संबंधित सभी महत्वपूर्ण सामग्रियां काजी नजरुल एकेडमी में ही रखी जाएंगी, हालांकि, अब काजी नजरुल विश्वविद्यालय यहां की सामग्रियों को ले जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने अगली बार पुलिस को लेकर आने की धमकी दी है.

सवालों के घेरे में अनुदान राशि

काजी अली रजा ने सवाल उठाया कि सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने 10 लाख रुपये और विधायक नरेंद्र नाथ चक्रवर्ती ने 5 लाख रुपये का अनुदान दिया था, तो आखिर वह पैसा कहां जा रहा है, जबकि एकेडमी का कोई रखरखाव नहीं किया जा रहा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस एकेडमी के साथ कवि काजी नजरुल इस्लाम की यादें जुड़ी हुई हैं, और जिस तरह से काजी नजरुल विश्वविद्यालय अपनी मनमानी कर रहा है, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

जन आंदोलन की चेतावनी

स्थानीय निवासियों और संस्कृति प्रेमियों ने भी इस मुद्दे पर अपना आक्रोश व्यक्त किया है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने अपनी योजना वापस नहीं ली तो वे उग्र आंदोलन शुरू करेंगे. कई संगठनों ने पहले ही इसके विरोध में हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया है और जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. एकेडमी के सदस्यों ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों से अपील की है कि वे नजरुल की स्मृति को राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप से दूर रखें और चुरुलिया को नजरुल तीर्थ के रूप में संरक्षित करें. उन्होंने कहा कि नजरुल केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक आंदोलन थे, एक चेतना थे, जिन्हें मिटाया नहीं जा सकता. यह विवाद आनेवाले दिनों में और तेज हो सकता है, क्योंकि स्थानीय लोग अपने सांस्कृतिक गौरव के लिए पूरी तरह से एकजुट हो चुके हैं.अब यह देखना होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है – वह जनता की भावनाओं का सम्मान करती है या अपनी योजनाओं को बलपूर्वक लागू करने का प्रयास करती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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