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जिले में औसतन रोज सड़क हादसे में जा रही एक जान : पुलिस आयुक्त

जागरूकता. हर साल डेढ़ लाख लोग दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं, देश के शीर्ष पांच सूबों में शुमार है पश्चिम बंगाल

30 सेकेंड की जल्दबाजी में हो जाता है हादसा और चली जाती है जान, मरनेवालों में युवाओं की संख्या ज्यादा

सजगता से रोके जा सकते हैं हादसे, जागरूकता फैलाने के साथ पुलिस को करनी पड़ती है सख्ती भी आसनसोल. आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस कमिश्ननेट(एडीपीसी) के पुलिस आयुक्त सुनील कुमार चौधरी ने कहा कि सड़क पर वाहन चलाने के दौरान चालक यदि 30 सेकेंड धैर्य से काम लें तो दुर्घटनाओं की संख्या में भारी गिरावट आ जायेगी. 30 सेकेंड की जल्दबाजी में चालक सही निर्णय नहीं ले पाते और खतरे को ठीक से आंकने में विफल हो जाते हैं, जिससे कारण सड़क दुर्घटनाएं हो जाती है. पश्चिम बर्दवान जिला में सड़क दुर्घटना में हर दिन औसत एक व्यक्ति की मौत होती है. पूरे देश में प्रतिदिन डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटना में मारे जाते है. इस मामले में पश्चिम बंगाल देश के टॉप पांच राज्यों की सूची में शामिल है. सड़क दुर्घटना रोकने के लिए लोगों में जागरूकता सबसे कारगर तरीका है, जिसे लेकर पुलिस व प्रशासन की ओर से नियमित जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिसका असर भी दिखा है. वर्ष 2024 में सड़क दुर्घटना में लोगों के मारे जाने के आंकड़े में गिरावट आयी है. शुक्रवार आसनसोल रवीन्द्र भवन में ट्रैफिक विभाग द्वारा अयोजिति रोड सेफ्टी वीक गाला इवेंट कार्यक्रम में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए पुलिस आयुक्त श्री चौधरी ने उक्त बातें कही. मौके में पुलिस उपायुक्त (ट्रैफिक) पीवीजी सतीश व अन्य अधिकारी उपस्थित थे. सड़क पर होनेवाली दुर्घटनाओं को लेकर नाटक का मंचन हुआ.

सड़क हादसे में सबसे पहले राहत देनेवालों में पथबंधुओं की भूमिका अहम

राज्य सरकार ने पथबंधु योजना की शुरूआत की है. सड़क दुर्घटनाओं में सबसे पहले राहत कार्य में शामिल होने में पथबंधुओ की भूमिका काफी अहम रही है. पुलिस उपायुक्त (ट्रैफिक) श्री सतीश ने कहा कि एनएच या एसएच या अन्य मुख्यमार्ग जिसपर वाहनों की संख्या ज्यादा रहती है, उन सड़कों के किनारे होटल, गैरेज, पार्किंग, चाय दुकान, नर्सरी आदि व्यवसाय से जुड़े लोगों पथबंधु के रूप में शामिल किया जाता है. यह स्वंय सेवक के रूप में कार्य करते हैं. सड़क पर यदि कोई हादसा होती है तो सबसे पहले इन्हें पता चलता है. पथबंधु को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. दुर्घटना होने पर क्या करना है? इन्हें फर्स्टएड किट दिया गया है. प्राथमिक उपचार करने के साथ-साथ तुरन्त एम्बुलेंस और पुलिस को फोन करते हैं. दुर्घटना में घायल व्यक्ति को गोल्डन टाइम (एक घंटा) के अंदर यदि अस्पताल पहुंचा दिया जाय तो उसे बचाने की संभावना 90 फीसदी तक बढ़ जाती है. ऐसे में पथबंधु भी भूमिका काफी अहम होती है और जिला में यह लोग काफी अच्छा कार्य कर रहे हैं.

वर्ष 2024 में सड़क दुर्घटनाओं से होनेवाली मौत के मामलों के ग्राफ में आयी है गिरावट

पुलिस आयुक्त श्री चौधरी ने कहा कि पिछले छह वर्षों में सड़क दुर्घटना में सबसे कम मौत वर्ष 2024 में हुई है. यह लोगों के जागरूकता और सजगता के कारण संभव हुआ है. वर्ष 2019 में कुल 442 दुर्घटनाओं में 314 लोगों की जान गयी. वर्ष 2020 में 427 दुर्घटना में 315 लोग, वर्ष 2021 में 397 दुर्घटनाओं में 300 लोग, वर्ष 2022 में 467 दुर्घटनाओं में 365 लोग, वर्ष 2023 में 501 दुर्घटनाओं में 354 लोगों की मौत हुई थी. वर्ष 2024 में 470 दुर्घटनाओं में 297 लोगों की मौत हुई है. सड़क पर ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए वाहन चलाने से यह आंकड़ा काफी नीचे आ जायेगा. जिसे लेकर पुलिस प्रशासन हर समय लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रहा है.

हादसे में मरनेवालों में युवाओं की तादाद है ज्यादा

पुलिस आयुक्त श्री चौधरी ने कहा कि हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत युवा हैं और इनकी अवादी सबसे ज्यादा है. प्रतिदिन सड़क दुर्घटना में मारे जानेवालों में युवाओ की संख्या सर्वाधिक है. सड़क दुर्घटना में 60 तक मौत बाइक व स्कूटर चालक और राहगीर की होती है. इनमें अधिकांश युवा है. सड़क पर वाहन चलाने के दौरान ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए थोड़ी सी सावधानी बरतने से अमूल्य जीवन को बचाया जा सकता है. कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों से उन्होंने अपील किया कि आज यहां जो भी ज्ञान उन्हें मिला, इसे वह अपने अभिभावक और पड़ोसियों से साझा करें और जीवन में खुद भी हमेशा इसपर अमल करें. सड़क दुर्घटना में कितने होनहार बच्चों की मौत हो गयी, जो अपनी प्रतिभा से देश को एक नई दिशा देने की क्षमता रखते थे.

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