एक जुलाई से शुरू होगी मेमू ट्रेन की वाणिज्यिक सेवा रखरखाव के चलते शुक्रवार को हावड़ा व शनिवार को पुरुलिया से नहीं चलेगी पुरुलिया. शनिवार से पुरुलिया और हावड़ा के बीच नयी मेमू पैसेंजर ट्रेन शुरू हो गयी. शनिवार को दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर मंडल के सांतरागाछी रेलवे स्टेशन से रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पुरुलिया व हावड़ा के बीच नयी मेमू ट्रेन को वर्चुअली हरी झंडी दिखा कर रवाना किया. सांतरागाछी स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम में रेलमंत्री के साथ सांसद सुकांत मजूमदार, सौमित्र खां, ज्योतिर्मय सिंह महतो, प्रसून बनर्जी व विधायक सुदीप मुखर्जी भी मौजूद थे. इसके अलावा जोन के मंडल रेल प्रबंधक(डीआरएम) सुमित नरुला के साथ कई रेल अधिकारी भी उपस्थित थे. दोपहर करीब 1:35 बजे नयी मेमू ट्रेन रवाना हुई. एक जुलाई से प्रतिदिन सुबह 4:00 बजे मेमू ट्रेन पुरुलिया स्टेशन से चल कर पूर्वाह्न 11:15 बजे हावड़ा स्टेशन पहुंचेगी. वापसी में इसी दिन शाम 4:15 बजे मेमू ट्रेन हावड़ा से छूट कर रात 11:55 बजे पुरुलिया पहुंचेगी. रास्ते में यह ट्रेन आद्रा, बांकुड़ा, सोनामुखी, बेलियातोड़, मसाग्राम, कामारकुंडू जैसे मुख्य स्टेशनों से होकर हावड़ा पहुंचेगी. हालांकि यह ट्रेन रखरखाव के चलते फिलहाल शुक्रवार को हावड़ा से एवं शनिवार को पुरुलिया से नहीं चलेगी. आद्रा मंडल के डीआरएम सुमित नरुला के अनुसार इस ट्रेन की बड़ी खासियत यह है कि पुरुलिया से अब हावड़ा मसाग्राम रेल मार्ग से जाने के कारण इसकी दूरी काफी घट कर 282 किलोमीटर हो गयी है, जबकि पुरुलिया से वाया खड़गपुर होकर जाने पर 322 किलोमीटर का सफर ट्रेन को तय करना पड़ता. इसलिए ट्रेन का किराया पुरुलिया से हावड़ा तक मात्र 60 है. अभी यह ट्रेन आठ कोचों की है, पर लोगों की जरूरत और यात्रियों की भीड़ को देखते हुए इस ट्रेनों में कोच की संख्या बढ़ायी जा सकती है. सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने बताया कि यह ट्रेन बांकुड़ा से मसाग्राम होकर हावड़ा जाने के लिए तैयार की गयी थी, पर रेल मंत्री को पुरुलिया जिला की जनता की मांग से अवगत कराया गया. आखिरकार रेल मंत्री ने इस ट्रेन को बांकुड़ा के बजाय पुरुलिया से चलाने को मंजूरी दी. इस मेमू ट्रेन को आपलोग गरीबों की वंदे भारत ट्रेन भी कह सकते हैं. उन्होंने चिंता जतायी कि करोड़ों रुपये रेलवे के विकास के लिए भारत सरकार खर्च करना चाहती है, पर पुरुलिया संसदीय क्षेत्र में कई ऐसी जगहें हैं, जहां राज्य सरकार से जमीन का एनओसी नहीं मिला है, जिससे विकास कार्य थमा पड़ा है.
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