आइआइटी खड़गपुर और इसीएल से एनएच प्रबंधन लेगी मदद, प्रेसर से सैंड फिलिंग की है तैयारी आसनसोल. कोयलांचल में एनएच-19 अनेकों जगह खतरे में हैं. यहां से भारी वाहन लेकर गुजरना भारी जोखिम का कार्य है. रविवार को तीसरी बार आसनसोल इलाके में एनएच-19 सड़क धंसी और सड़क के बीच कुएं नुमा गड्ढा बन गया. कोलकाता से दिल्ली जाने के क्रम में आसनसोल नॉर्थ थाना क्षेत्र अंतर्गत गारुई रेलवे पुल पार करते ही कुछ दूरी पर रविवार भोर में यह धंसान हुआ. हालांकि कोई वाहन इस गड्ढे में नहीं फंसा. एनएच प्रबंधन ने सड़क को बंद कर दिया है. अस्थायी तौर पर इसकी मरम्मत का कार्य किया जा रहा है. बरवा अड्डा एक्सप्रेसवे के अधिकारी ने बताया कि इलाके में अवैध खनन के कारण अनेकों जगह सड़क के नीचे सुरंग है. आइआइटी खड़गपुर से एक्सपर्ट टीम को बुलाया गया है और इसीएल से भी मदद ली जायेगी. इस इलाके में प्रेशर से सैंड फिलिंग का काम एक्सपर्ट की निगरानी में होगा. फिलहाल सड़क की अस्थायी तौर पर मरम्मत कर दी जा रही है और सड़क पर गुजरने वाले वाहनों के लिए चेतावनी का बोर्ड लगा दिया जायेगा. जल्द ही काम को पूरा कर लिया जायेगा. इससे पहले रानीगंज थाना क्षेत्र के बोगड़ा और कुल्टी थाना क्षेत्र के चौरंगी के पास सड़क धंसी थी. जिसका कारण भी अवैध खनन ही था और दोनों जगहों पर ही सैंड फिलिंग करके सड़क को ठीक किया गया था. गौरतलब है कोयलांचल में वैध और अवैध तरीके से हुए कोयला खनन को लेकर विभिन्न इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया है. खनन क्षेत्र के तीन सौ मीटर के दायरे में किसी भी निर्माण कार्य के अनुमति पर पाबंदी लगा दी गयी. खनन की चपेट में हावड़ा दिल्ली रेलवे लाइन भी है. समय-समय पर इसकी जांच होती रहती है. कोयलांचल में आजादी के पहले से कोयले का खनन चल रहा है. उस दौरान का ठोस कोई नक्शा नहीं है कि किस-किस इलाके में जमीन के अंदर से कोयला निकाल लिया गया है. सर्वे में काफी जगहों को चिह्नित किया गया है. अवैध कोयला खनन के कारण भी जमीन कई जगह से खोखली हो गयी है. इसका कोई सही आंकड़ा नहीं है. कोयलांचल में धंसान होना एक सामान्य घटना हो गयी है. एनएच पर धंसान ने सभी को सकते में डाल दिया है.
सड़क के 22 मीटर नीचे सुरंग का है जिक्र, जो घटकर आ गया है दस मीटर पर
बरवा अड्डा एक्सप्रेसवे के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जब सड़क का निर्माण हो रहा था, उस दौरान सर्वे किया गया था. कई जगहों पर सड़क के नीचे सुरंग होने की जानकारी मिली थी. सर्वे में यह पता चला था कि 22 मीटर नीचे सुरंग है, जहां की जमीन खोखली है. सड़क को उसी हिसाब से बनाया गया था. समय बीतने के कारण 22 मीटर की दूरी कई जगहों पर दस मीटर तक पहुंच गयी है. अंदर मिट्टी का रिसाव होता रहा और दूरी कम होती गयी. जिसके कारण गारुई के पास यह धंसान हुआ है. गड्ढे में पानी नजर आ रहा है. इससे यह संकेत मिलता है कि जमीन अंदर काफी खोखली हो गयी है. जिसके कारण ही एक्सपर्ट टीम को बुलाया जा रहा है. जांच के बाद प्रेशर से सैंड फिलिंग करके जगह को मजबूत किया जायेगा, ताकि इस इलाके में धंसान की घटना न हो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है