अंडाल.
ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (इसीएल) के सीएमडी सतीश कुमार झा रविवार को काजोडा क्षेत्र के दौरे पर आये. काजोडा पहुंचने पर महाप्रबंधक प्रशांत कुमार, एजीएम और नबोजामबाद प्रोजेक्ट के एजेंट सलील कुमार मन्ना समेत हरीशपुर गांव के निवासियों ने उनका स्वागत किया. इसके बाद उन्होंने माधबपुर, जामबाद, परासकोल ईस्ट और वेस्ट, तथा खासकाजोरा कोलियरी का भी निरीक्षण किया. उन्होंने भूमिगत खदानों के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया.धंसान प्रभावित हरीशपुर गांव के पुनर्वास पर बैठक
अपने दौरे के दौरान सतीश कुमार झा ने हरीशपुर गांव का निरीक्षण किया, जो धंसान (भूमिगत धंसान) से प्रभावित है. यहां के ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर रह रहे हैं. उन्होंने गांववासियों के साथ बैठक कर उन्हें सुरक्षित स्थान पर जाने की सलाह दी और उचित पुनर्वास का आश्वासन दिया. मदनपुर ग्राम पंचायत का हरीशपुर गांव धंसान प्रभावित क्षेत्रों में से एक है. जुलाई 2020 में यहां बड़े भूस्खलन के कारण घरों में दरारें आ गई थीं और कई मकान जमींदोज हो गये थे. उस समय गांववासियों को काजोड़ा क्षेत्र में स्थित खाली कोलियरी आवासों में रहने की व्यवस्था करायी गयी थी, लेकिन कुछ लोग फिर भी गांव में लौट आये.पुनर्वास की मांग पर चुनाव बहिष्कार कर चुके हैं ग्रामीण
पुनर्वास की मांग को लेकर हरीशपुर गांव के निवासियों ने पहले लोकसभा उपचुनाव और विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया था. हाल ही में ग्रामीणों के एक प्रतिनिधिमंडल ने ईसीएल मुख्यालय जाकर सीएमडी सतीश कुमार झा से पुनर्वास को लेकर मुलाकात की थी. कुछ दिन पहले रानीगंज के विधायक तापस बनर्जी ने भी सीएमडी से इस मुद्दे पर चर्चा कर हरीशपुर गांव का दौरा करने का अनुरोध किया था.सीएमडी बोले – पहले जान बचाएं, पुनर्वास पर जल्द निर्णय होगा
दौरे के बाद सतीश कुमार झा ने पत्रकारों से कहा कि हरीशपुर गांव का इलाका सुरक्षित नहीं है और ग्रामीण खतरे में जी रहे हैं. उन्होंने निवासियों से अपील की कि वे पहले अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दें और किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाएं. उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर जल्द निर्णय लिया जायेगा.नयी पुनर्वास योजना पर असहमति
गौरतलब है कि हरीशपुर गांव का पुनर्वास रानीगंज मास्टर प्लान के तहत आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकरण (एडीडीए) द्वारा किया जा रहा है. इसके लिए अंडाल एयरपोर्ट क्षेत्र में हाउसिंग कॉम्प्लेक्स बनाया गया है. हालांकि, ग्रामीण वहां शिफ्ट होने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि वहां पशुओं को रखने की व्यवस्था नहीं है और नये मकान उनकी जरूरतों के अनुरूप नहीं हैं. इस कारण वे अब भी धंसान प्रभावित क्षेत्र में रहने को मजबूर हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है