जामुड़िया. कभी बच्चों की चहक से गूंजने वाला बेलडांगा आदिवासी प्राइमरी स्कूल आज पूरी तरह सुनसान पड़ा है. पिछले कुछ दिनों से एक भी छात्र स्कूल नहीं आ रहे हैं. आखिर क्यों अचानक स्कूल आना बंद कर दिया बच्चों ने? इसका कारण जानकर हर कोई हैरान है.
दरअसल, कुछ दिनों पहले ही इस विद्यालय में एक नए शिक्षक को मुख्य शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है, लेकिन अभिभावकों का आरोप है कि यह शिक्षक विद्यालय परिसर में असामाजिक गतिविधियों में लिप्त रहते है.इसी कारण अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना पूरी तरह बंद कर दिया है.पहले आदर्श स्कूल, अब विवादों में घिरा
गौरतलब है कि पश्चिम बर्दवान जिले के अन्य विद्यालयों की तुलना में बेलडांगा आदिवासी प्राइमरी स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल था. स्कूल में ड्रॉपआउट दर में कमी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के चलते यह स्कूल स्थानीय मीडिया और समाज में काफी सराहना बटोर चुका था, लेकिन अब वही स्कूल विवादों के घेरे में आ गया है.नियुक्ति से पहले ही जतायी गयी थी आपत्ति
अभिभावकों का कहना है कि उन्होंने पहले से ही इस शिक्षक के चरित्र और आचरण को लेकर चिंता जताई थी और जामुड़िया के बीडीओ को लिखित रूप में अवगत भी कराया था कि उसे इस स्कूल में नियुक्त न किया जाए. बावजूद इसके, उक्त शिक्षक ने 18 जुलाई को शिक्षक ने स्कूल में कार्यभार संभाल लिया, और उसी दिन से बच्चों का स्कूल आना बंद हो गया.
प्रशासन ने दिया जांच का आश्वासन
इस पूरे मामले पर जामुड़िया के बीडीओ अरुणालोक घोष ने कहा कि मामले को गंभीरता से लिया गया है और सभी तथ्यों की जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी.
स्थानांतरण की मांग ज्ञापन सौंपा गया
स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने अब इस शिक्षक को स्कूल से स्थानांतरित करने की मांग करते हुए सामूहिक हस्ताक्षर के साथ एक ज्ञापन फिर से जामुड़िया बीडीओ को सौंपा है. उनका स्पष्ट कहना है कि या तो शिक्षक को स्कूल से हटाया जाए, या फिर बच्चों को दूसरे स्कूल में ट्रांसफर सर्टिफिकेट देकर भेजा जाए.
शिक्षक ने आरोपों को बताया बेबुनियाद
वहीं, जिन शिक्षक पर यह आरोप लगे हैं, उन्होंने सभी आरोपों को निराधार और झूठा बताया है. उनका कहना है कि वे हाल ही में नियुक्त हुए हैं और खुद इस बात से अचंभित हैं कि छात्र-छात्राएं स्कूल क्यों नहीं आ रहे. उन्होंने बताया कि वे इस विषय पर अभिभावकों और अन्य शिक्षकों से चर्चा करेंगे.
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