दुर्गापुर में विफल रही योजना दुर्गापुर. राज्य सरकार की ओर से बस्ती के लोगों के सुविधा के लिए मिशन निर्मल बांग्ला योजना के तहत राज्य के विभिन्न शहरों में सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालय बनाये गये थे. पर सरकार की यह योजना दुर्गापुर में पूरी तरह से विफल रही है. दुर्गापुर में विभिन्न वार्डो में देखा जाय तो सरकार की ओर से बनाये गये सैकड़ों सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालय कई वर्षों से बंद पड़े हैं. सभी शौचालय बंद रहने से स्थानीय लोगों व राहगीरों को परेशानी हो रही है. आरोप है कि करीब सात वर्ष बीत जाने के बाद भी दुर्गापुर नगर निगम उन शौचालयों में सेवा उपलब्ध कराने में विफल साबित हो रही है. लोगो का कहना है यदि उन शौचालयों में सेवा शुरू कर दी जाए तो काफी लोगों को लाभ होगा. वहीं दूसरी तरफ नगर नगर निगम का दावा है कि जल्द ही सार्वजनिक शौचालय की सेवा उपलब्ध करा दी जाएगी. शेष शौचालयों की जिम्मेदारी स्थानीय लोगों को लेनी होगी. उल्लखेनीय है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रेरणा से राज्य पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग द्वारा वर्ष 2013 में खुले में शौच रोकने के लिए मिशन निर्मल बांग्ला की शुरुआत की गई थी. इसके साथ हर घर में शौचालय निर्माण के साथ शहर के घनी आबादी जैसे बाजार, बस्तीवाले इलाकों में सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया गया. मिशन निर्मल बांग्ला की शौचालय होने से झुग्गी-झोपड़ियों के लोग खुश थे.लेकिन इन सामुदायिक शौचालयों में निर्माण होने के बाद से ताला कभी खुल नहीं पाया. जिससे स्थानीय लोगों में सरकार के प्रति काफी निराश हो गए.
बस्ती के लोगों को आज भी शौचालय का ताला खुलने का इंतजार
स्टील टाउनशिप के कृत्तिवास बाजार के व्यापारी सौभिक दास और रविंदर दास ने कहा कि अगर बाजार में बना शौचालय सेवा शुरू हो जाए तो कई व्यापारियों और राहगीरों को फायदा होगा. स्थानीय निवासी देवाशीष चौधरी ने कहा कि करोड़ों रुपये खर्च करके यह शौचालय जनता के लिए बनाया गया है. करीब 10 साल हो गए हैं, नगर पालिका सेवा देने में विफल रही है. हमारी मांग है कि शौचालय सेवा जल्द शुरू की जाए. इस बारे में निगम की प्रशासक अनिंदिता मुखर्जी ने कहा कि विभिन्न वार्डो में करीब 268 शौचालय बनाए गए है. जिसमें करीब 7 करोड़ रुपये खर्च हुए है. 268 में से 30 सार्वजनिक शौचालय हैं, अगर क्षेत्र में कोई समिति अपनी जिम्मेदारी पर शौचालय खोलना चाहती है तो वे हमसे संपर्क करें, हम अनुमति देंगे.
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