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शत्रुघ्न सिन्हा के अनादर पर तृणमूल कांग्रेस क्यों है खामोश, उठ रहे सवाल

हिंदीभाषी व बिहारी होने के कारण शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ अपशब्दों का उपयोग करके बंगाल की धरती पर उन्हें अपमानित किया गया. जिसे लेकर पश्चिम बंगाल ही नहीं के पूरे देशभर में फैले श्री सिन्हा के प्रशंसक और समर्थकों में भारी रोष है. सीवान (बिहार) जिला के मैरवा थाना थाना क्षेत्र इलाके के निवासी हीरालाल यादव ने कहा कि शत्रुघ्न सिन्हा सिर्फ बिहार के ही नहीं पूरे देश के गर्व हैं.

आसनसोल.

हिंदीभाषी व बिहारी होने के कारण शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ अपशब्दों का उपयोग करके बंगाल की धरती पर उन्हें अपमानित किया गया. जिसे लेकर पश्चिम बंगाल ही नहीं के पूरे देशभर में फैले श्री सिन्हा के प्रशंसक और समर्थकों में भारी रोष है. सीवान (बिहार) जिला के मैरवा थाना थाना क्षेत्र इलाके के निवासी हीरालाल यादव ने कहा कि शत्रुघ्न सिन्हा सिर्फ बिहार के ही नहीं पूरे देश के गर्व हैं. वर्ष 1998 में तृणमूल का गठन होने के बाद से आसनसोल लोकसभा सीट पर 1998, 1999, 2004, 2005, 2009, 2014, 2019 तक सात बार चुनाव हुआ. हर बार तृणमूल ने अपना उम्मीदवार उतारा और सारे भूमिपुत्र ही चुनाव लड़े थे. लेकिन एकबार भी जीत नहीं मिली. वर्ष 2022 के उपचुनाव में तृणमूल ने बिहार के लाल श्री सिन्हा को उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा और बिहारी बाबू ने सिर्फ जीत ही नहीं दिलाई, जीत के अंतर का नया रिकॉर्ड भी बनाया. वर्ष 2024 में पुनः श्री सिन्हा को तृणमूल ने आसनसोल से टिकट दिया. इसबार भी उन्होंने जीत दर्ज कर यह सीट तृणमूल की झोली में डाल दी. ऐसे दिग्गज नेता के खिलाफ अपशब्दों का उपयोग करने पर तृणमूल के लोग क्यों खामोश हैं? यह समझ से परे है. क्या श्री सिन्हा के सम्मान के साथ तृणमूल का कोई लेना देना नहीं है. अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब किसी का अपमान करना नहीं होता. पुलिस और प्रशासन इस मामले पर क्यों नहीं ले रही है संज्ञान? यह भी सोंचने का विषय है.

बंगाल बस बांग्लाभाषियों का है, तो मूल निवासी आदिवासी क्या हैं?

खुद को बांग्ला भाषियों का सबसे बड़ा हितैषी घोषित करने वाले व्यक्ति अत्यंत ही संकुचित विचारधारा के इंसान हैं और मानसिक रूप से बीमार हैं. वीडियो फुटेज में वे कहते दिख रहे हैं कि बंगाल बांग्ला मातृभाषा बोलने वालों की है. यह बांग्ला बोलने वालों की बंगाल है तो यहां के मूल निवासी आदिवासी जिनकी मातृभाषा संताली है, वे यहां के क्या हैं? भाषायी उन्माद फैलाकर राज्य की शांति को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है. आसनसोल के सांसद बिहार के हैं और हिंदीभाषी हैं तो उनके खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग होगा? इसके।खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. अन्यथा इस तरह के लोग आगे माहौल को और भी बिगाड़ने का प्रयास करेंगे. यदि लोग उनकी बातों का समर्थन करते हैं तो गणतांत्रिक पद्धति में चुनाव लड़े. उन्हें हकीकत पता चल जाएगा कि बंगाल के लोगों की सोंच उनकी तरह संकुचित नहीं है.

प्रदीप महाली,

बीटेक इंजीनियर और आदिवासी हितैषी

शत्रुघ्न सिन्हा का अपमान कर कोई बंगाल व बांग्लाभाषा का मान कैसे बढ़ा सकता है

जिस पावन धरा पर कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने जन्म लिया और उनकी रचनाएं पूरे विश्व में बंगाल की अलग पहचान दी. उस पुण्य भूमि पर बांग्लाभाषा और बंगाली के नाम पर इसतरह का भाषायी उन्माद बंगभूमि का अपमान है. हिंदीभाषी होने के नाते शत्रुघ्न सिन्हा जैसे शख्सियत का अपमान करके कोई बंगाल व बांग्लाभाषा का सम्मान कैसे बढ़ा सकता है? जिस राज्य ने सबका स्वागत किया हो और जिसके इतिहास निर्माण में सबकी भागीदारी रही हो, उस प्रान्त के हिसाब से ऐसी बातें अशोभनीय ही नहीं अति निंदनीय है. माननीय शत्रुघ्न सिन्हा भारतीय कला जगत में एक धरोहर के रूप में प्रतिष्ठित हैं. उनका अपमान पूरे कला जगत का अपमान है. पश्चिम बंगाल की प्रबुद्ध जनता कभी ऐसे मत का समर्थन नहीं करती है. माननीय मुख्यमंत्री ने कोलकाता में आयोजित होली मिलन समारोह में हिंदीभाषियों को जो संदेश दिया यह उसका अपमान है. जिस भूमि पर विश्व मानवता फल-फूल रही हो वहां ऐसी भाषायी उन्माद की विचारधारा पराजित हो जाएगी. मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि इस मामले को संज्ञान में ले और उचित कार्रवाई करने का निर्देश दें.

उमेश मिश्रा,

शिक्षक व समाजसेवी, पानागढ़

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