डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 1500 करोड़ की धोखाधड़ी
चार्जशीट में चिराग कपूर और योगेश दुआ समेत कुल 13 लोगों के नाम का जिक्र
आदित्य दुआ नाम के आरोपी को चार्जशीट में फरार दिखाया गया
संवाददाता, कोलकाता1500 करोड़ रुपये के डिजिटल अरेस्ट के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने प्राथमिक स्तर की जांच पूरी कर ली. जांच एजेंसी ने इसकी चार्जशीट सोमवार को कोलकाता के बैंकशाल कोर्ट स्थित इडी की विशेष अदालत में दाखिल कर दी. बंगाल ही नहीं, हाल ही में देश के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय थानों में डिजिटल अरेस्ट के जाल में फंसाकर लोगों से मोटी रकम ठगने के दर्जनों आरोप जमा होते रहे हैं. जालसाजों पर करोड़ों रुपये के गबन के भी आरोप हैं.
प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू की और कई जानकारियां जुटायीं. इडी सूत्र बताते हैं कि यह गतिविधि एक गिरोह के जरिये अंजाम दी गयी.अदालत सूत्र बताते हैं कि गिरोह के आदित्य दुआ नाम के एक शातिर सदस्य को चार्जशीट में फरार दिखाया गया. कोलकाता की घटना की जांच में सोमवार को पेश 60 पन्नों की चार्जशीट में कहा गया है कि इस गिरोह के सरगना ने विभिन्न प्रख्यात एवं बुजुर्ग लोगों को डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर कुल 1500 करोड़ रुपये वसूले. इडी की चार्जशीट में चिराग कपूर और योगेश दुआ के नाम का जिक्र है. चार्जशीट में उनकी एक कंपनी के नाम का भी उल्लेख किया गया है. चार्जशीट में बताया गया है कि ये दोनों लोग इस गिरोह के मास्टरमाइंड हैं. लोगों को ठगने वाला यह गिरोह दुबई से काम कर रहा था. दोनों आरोपियों के 300 बैंक खातों का पता लगाया गया है. बताया जाता है कि डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर कुल 1500 करोड़ रुपये लोगों से लूटे गये थे.
चार्जशीट में इंटरनेशनल रैकेट के काम करने का उल्लेख
अदालत सूत्र बताते हैं कि चार्जशीट में इडी ने बताया कि गिरोह के सरगनाओं की अब तक कुल 10 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गयी है. चार्जशीट में 350 सिम का जिक्र किया गया है. बताया गया है कि इन सिम से इंटरनेशनल रोमिंग के जरिए ठगी की जा रही थी. चार्जशीट में 13 लोगों के नाम हैं. कई बार ठगी करने वाले फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर आम लोगों को फोन करते थे. विश्वसनीयता के लिए वे पुलिस की वर्दी पहनकर उन्हें डराते थे. कई बार फोन से दूसरी तरफ से लगातार धमकी देते थे कि पार्सल में अवैध सामान है. कहते थे कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया जायेगा. लगातार वीडियो कॉल में जब लोग डरकर टूट जाते थे, तब गिरोह के सदस्य ऐसे लोगों से मोटी रकम वसूल कर समझौता करने का वादा करके नया जाल बिछाकर लोगों से बैंक की जानकारी लेते थे व कार्ड नंबर तथा ओटीपी की जानकारी लेकर बैंक खाते से धनराशि उड़ा लेते थे.
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