प्रतिमा पर किया गया माल्यार्पण
हल्दिया. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शहीदों की सूची में अक्सर हम क्रांतिकारी खुदीराम बोस, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस का नाम सुनते हैं, लेकिन उनसे बहुत पहले, अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाकर फांसी पर चढ़ने वाले एक निर्भीक योद्धा महाराज नंदकुमार थे. उन्हें 250 साल पहले, ब्रिटिश शासन द्वारा अन्यायपूर्वक फांसी दी गयी थी. इतिहासकारों के अनुसार, उन्हें भारत का प्रथम बंगाली शहीद माना जाता है. मंगलवार को महाराज नंदकुमार की 250वीं बलिदान वर्षगांठ पर नंदकुमार ब्लॉक कार्यालय परिसर में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गयी.इस अवसर पर भाजपा के नेता सुकुमार बेरा, संदीप चक्रवर्ती, कुमोरआड़ा ग्राम पंचायत के प्रधान तमाल कुइती समेत अनेक जनप्रतिनिधि मौजूद थे. महाराज नंदकुमार न केवल तत्कालीन हिंदू समाज के नेता थे, बल्कि ब्रिटिश अत्याचारों के विरुद्ध डटकर खड़े होने वाले एक साहसी सेनानी भी थे. उन्हें दी गयी अन्यायपूर्ण फांसी ने बंगाल और पूरे भारत में ब्रिटिश राज के खिलाफ जनआक्रोश की चिंगारी जलायी थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है