पिछले 35 वर्षों में केवल एक बार कैडर समीक्षा किये जाने का है आरोप कोलकाता. केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) में पश्चिम बंगाल समेत पूरे देश में कई अधिकारी लंबे समय तक बिना प्रमोशन के नौकरी करने को मजबूर हैं. बताया जा रहा है कि कुछ ऐसे भी मामले हैं, जिसमें 25 से 30 सालों की नौकरी करने वाले इंस्पेक्टर बिना असिस्टेंट कमांडेंट में प्रमोशन लिये रिटायर हो गये. ऐसे ही एक मामले में सीआइएसएफ से रिटायर्ड इंस्पेक्टर हीरा सिंह ने देरी से डीपीसी करने को लेकर अलग से दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका भी दायर की है. याचिका में दावा किया गया कि 34 वर्षों तक मेरिटोरियस सर्विस के बावजूद इंस्पेक्टर रैंक से वह रिटायर हो गये. एक अन्य मामले में करीब 540 इंस्पेक्टरों ने दावा किया कि पिछले 24 वर्षों से वे इंस्पेक्टर से असिस्टेंट कमांडेंट के लिए प्रमोट होने का इंतजार कर रहे हैं. सीआइएसएफ से जुड़े बंगाल में कार्यरत कुछ अधिकारियों ने कहा कि देशभर में ऐसे करीब 2700 अधिकारी हैं, जो लगभग 29 वर्षों से प्रमोशन के इंतजार में बैठे हैं. सीआइएसएफ इंस्पेक्टर्स का सीएपीएफ के अंतर्गत आने वाले अन्य अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों को प्रमोशन मिल गये हैं, लेकिन उन्हें अभी भी प्रमोशन का इंतजार वर्षों से करना पड़ रहा है. ऐसे अधिकारियों ने बताया कि मजबूर होकर उन्होंने भी दिल्ली हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां अदालत ने भी सीआइएसएफ को इस मामले में कैडर समीक्षा का आदेश दिया. जिसमें विशिष्ट आदेश दिया कि समीक्षा में डीओपीटी और यूपीएससी के नियमों को लागू कर 540 इंस्पेक्टर्स को चार महीने में प्रमोशन दिया जाये. लेकिन इस आदेश के लगभग 11 माह गुजर जाने के बाद भी इस पर समुचित कदम नहीं उठाने का आरोप है. गौरतलब है कि हर पांच साल में कैडर रिव्यू करने का आदेश है. लेकिन विगत 35 वर्षों में सिर्फ एक बार कैडर समीक्षा हुई वह भी पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी के पूछने पर 2018 में हुई थी.
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