कोलकाता.
महानगर के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के ऑडिटोरियम में एक निजी मेडिकल कोचिंग सेंटर अवैध रूप से संचालित हो रहा है. यह कोचिंग सेंटर नीट-पीजी की तैयारी करने वाले छात्रों को एक वर्ष की कोचिंग के लिए 60,000 से 65,000 तक शुल्क लेता है. चौंकाने वाली बात यह है कि यह कोचिंग सेंटर बिना स्वास्थ्य विभाग की अनुमति के चल रहा है. इस निजी कोचिंग सेंटर में पश्चिम बंगाल के कई सरकारी मेडिकल कॉलेजों जैसे- बर्दवान मेडिकल कॉलेज और डायमंड हार्बर मेडिकल कॉलेज के छात्र कोचिंग ले रहे हैं. पहले यह कोचिंग सेंटर आरजी कर मेडिकल कॉलेज में चलाया जा रहा था. जब इस संबंध में कोचिंग कंपनी के एक एजेंट से पूछा गया, तो उसने बताया कि वे नीट-पीजी के लिए कोचिंग कराते हैं और उन्हें आरजी कर के स्टूडेंट काउंसिल से अनुमति मिली हुई है.हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि एनआरएस मेडिकल कॉलेज में कोचिंग चलाने की अनुमति किसने दी. आरजी कर के स्टूडेंट काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अमृत आर्य ने दावा किया कि कोचिंग सेंटर से मिलने वाला फंड लाभदायक नहीं है और उन्होंने माइक्रोबायोलॉजी विभाग को डिजिटल माइक्रोस्कोप दिये हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कॉलेज प्रबंधन की अनुमति से ही कोचिंग चलायी जा रही है. हालांकि, एनआरएस मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल इंदिरा दे पाल इस मामले पर कुछ भी कहने से बच रही हैं.
राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक बोले, होगी कार्रवाई : राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक प्रोफेसर डॉ इंद्रजीत साहा ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि निजी कोचिंग संस्थान सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कोचिंग नहीं दे सकते. सरकारी मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करके निजी कोचिंग संगठनों का कारोबार अवैध है. डॉ साहा ने एनआरएस की प्रिंसिपल से बात करने और उनकी प्रतिक्रिया मिलने के बाद आगे की कार्रवाई करने की बात कही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है