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पत्नी-बच्चों को भरण-पोषण देना दया नहीं, उनका अधिकार

इकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवब्रत उपाध्याय ने प्रभात खबर के ऑनलाइन पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए बताया कि भरण-पोषण का दावा दया याचिका नहीं है, यह पत्नी और बच्चों (पुरुष 18 वर्ष तक, महिला विवाह तक) का कानूनी अधिकार है.

कोलकाता.

पति से पत्नी द्वारा अपने व बच्चों के लिए भरण-पोषण की मांग करना, कोई दया नहीं, बल्कि उनका अधिकार है. इसे लेकर अदालत ने कई फैसले सुनाये हैं.

इस संबंध में कलकत्ता हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवब्रत उपाध्याय ने प्रभात खबर के ऑनलाइन पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए बताया कि भरण-पोषण का दावा दया याचिका नहीं है, यह पत्नी और बच्चों (पुरुष 18 वर्ष तक, महिला विवाह तक) का कानूनी अधिकार है. पत्नी व बच्चों द्वारा आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य पदार्थ, दैनिक आवश्यकताओं आदि के लिए भरण-पोषण का दावा किया जा सकता है. पति की आय, सामाजिक स्थिति, पारिवारिक पृष्ठभूमि के अनुसार भरण-पोषण राशि का दावा किया जा सकता है और अदालत यह तय करती है कि कितना भरण-पोषण का भुगतान किया जाए.

उन्होंने कहा कि पत्नी व बच्चों को भरण-पोषण पाने का कानूनी अधिकार है और दूसरी ओर पति का अपनी पत्नी व बच्चों के लिए भरण-पोषण प्रदान करना कानूनी कर्तव्य और सामाजिक बाध्यता है. राजाबाजार से आशीष कुमार का सवाल : मैंने एक बैंक से लोन लिया था, लेकिन मैं उसका भुगतान नहीं कर पाया. लोक अदालत के माध्यम से नोटिस मिला है, क्या लोक अदालत से केस खत्म करा सकते हैं और छूट मिलेगी? जवाब: अगर आपने किसी बैंक से लोन लिया है तो वह आपको चुकाना ही होगा. अगर आपका ऋण खाता एनपीए हो गया है, तो लोक अदालत या राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से ऋण संबंधित वाद को खत्म करा सकते हैं. इसमें बैंक के अधिकारी रहेंगे और वन टाइम सेटलमेंट करने से बैंक के प्रावधानों के अनुसार विशेष छूट मिल सकती है. बंडेल से राजू मिश्रा का सवाल : मैं कारोबार का विस्तार के लिए मुद्रा लोन लेना चाहता हूं, इसके लिए क्या करना होगा? जवाब: मुद्रा लोन किसी व्यवसाय के लिए दिये जाने का प्रावधान है. अपने नजदीकी बैंक में इसके लिए आवेदन करें. बैंक की ओर से आपके व्यवसाय का स्थान देखा जायेगा व बिजनेस के प्रकार के आधार पर रिपोर्ट आने के बाद ऋण स्वीकृत किया जाता है. हावड़ा से मिथिलेश कुमार का सवाल : मेरी खास जमीन पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है. इस बारे में अधिकारियों को आवेदन दिये तीन माह हो गये हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.

जवाब : आवेदन के संदर्भ में पुनः अधिकारियों से मिलकर पत्र दें और कार्रवाई का अनुरोध करें. सुनवाई नहीं होने पर आवेदन की प्रगति के संबंध में सूचना अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन करें और सूचना का इंतजार करें, सूचना न देने पर उसके वेतन से राशि कटौती हो सकती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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