कोलकाता. राज्य में लाखों लोग मुफ्त इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों पर ही निर्भर हैं. मरीजों को उचित सेवाएं मिलें, इसके लिए राज्य सरकार ने पीपीपी मॉडल शुरू किया है. हालांकि, उस पीपीपी मॉडल की आड़ में एनआरएस और कोलकाता मेडिकल कॉलेज अस्पताल में करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. एक निजी स्पीच एंड हियरिंग क्लिनिक पर मुनाफे के लिए मरीजों की जान से खिलवाड़ करने का आरोप लगा है. स्पीच एंड हियरिंग एसोसिएशन की शिकायत के आधार पर दो मेडिकल कॉलेजों ने जांच कमेटी बनायी है. स्पीच एंड हियरिंग क्लिनिक एनआरएस व कोलकाता मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऑडियो वेस्टिबुलर क्लिनिक को पीपीपी मॉडल पर चलाता है. सुनने की समस्या लेकर हर दिन इएनटी विभाग के आउटडोर क्लिनिक में आने वाले सभी मरीजों की जांच यहीं की जाती है. कई तरह के टेस्ट होते हैं. सुनने की समस्या है या नहीं, यह जानने के लिए सबसे पहले जांच को ओएइ (ओटीओ-एकॉस्टिक एमिशन) कहते हैं. यदि इस परीक्षण में सुनने में समस्या का कोई संकेत मिलता है, तो इसकी पुष्टि के लिए विभिन्न ऑडियोलॉजिकल डायग्नोस्टिक परीक्षण किये जाते हैं. आरोप है कि एनआरएस में 11 महीने के बच्चे पर फर्जी श्रवण यंत्र परीक्षण किया गया और उसके लिए श्रवण यंत्र खरीदे भी गये, जबकि यह यंत्र सात वर्ष की उम्र में ही लगाया जाता है. वहीं, कोलकाता मेडिकल में निप्रा दास नामक एक मरीज को कान की हड्डी में समस्या के कारण सुनने में कठिनाई हो रही थी. उन्हें बताया गया कि उन्हें सुनने में समस्या है और 62,000 रुपये में उसके लिए श्रवण यंत्र खरीदा गया. जब समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो मरीज ने एसएसकेएम से संपर्क किया. एसएसकेएम के डॉक्टर कोलकाता मेडिकल के निदान से हैरान हैं. एक मरीज को सुनने में कोई समस्या नहीं थी, फिर भी श्रवण यंत्र लगाया गया. इस तरह के अन्य कई मामले भी हैं. कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक अंजन अधिकारी ने कहा : हमें शिकायत मिली है. हम मामले से अवगत हैं. सरकार के नियमों से परे कोई कुछ नहीं कर सकता. मुझे उम्मीद है कि 15 दिनों के भीतर जांच पूरी हो जायेगी. फिर हम सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगे. उधर, एनआरएस की प्रिंसिपल इंदिरा डे ने शिकायत पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
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