तस्करों का गिरोह उत्तर 24 परगना, नदिया, मालदा, मुर्शिदाबाद स्थित भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों से बांग्लादेश में अवैध तरीके से कछुआ भेजने की फिराक में रहते हैं संवाददाता, कोलकाता हाल के कुछ वर्षों में भारत से विदेश में कछुआ की तस्करी के लिए पश्चिम बंगाल प्रमुख मार्ग बन गया है. कछुआ तस्करों की गिरफ्तारी व कछुआ बरामदगी के ज्यादातर मामलों में यह देखा गया है कि आरोपी कछुओं को बंगाल लाने की कोशिश में रहते हैं. ऐसी घटनाएं उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु व अन्य राज्यों में हो चुकी है. तस्करों का गिरोह उत्तर 24 परगना, नदिया, मालदा, मुर्शिदाबाद स्थित भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों से बांग्लादेश में अवैध तरीके से कछुआ भेजने की फिराक में रहते हैं. जहां से एशिया के अन्य देशों में उनकी तस्करी की जा सके. हालांकि, सीमावर्ती इलाकों में तस्करों के मंसूबे को नाकाम करने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. भारतीय कछुओं की विदेश में काफी है मांग : जानकारों का कहना है कि भारतीय की विभिन्न प्रजातियों के कछुओं की विदेश की काफी मांग है. खासकर एशिया के कई देशों में. हमारे देश में कछुओं की 28 प्रजाति हैं. इनमें स्पोडिड पोंड, निलसोनिया, गैंगटिस, चित्रा, इंडिका, सुंदरी प्रजाति के कछुओं की कीमत ज्यादा मानी जाती है. विदेशों में ऐसी प्रजाति के कछुए के सूप और चिप्स भी बनाए जाते हैं, जिनकी डिमांड वहां के लोगों में ज्यादा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रति किलोग्राम कछुए के चिप्स की 25 हजार रुपये से भी ज्यादा होती है. ज्यादा मुनाफा के कारण भी भारतीय कछुओं की तस्करी तस्करों की पसंद है. तस्करों को कछुआ की तस्करी में करीब 10 से 12 गुना तक का फायदा भी मिल जाता है. वन विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि कछुए के खोल से दवा भी बनायी जाती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रति किलो सूखे कछुए की कीमत करीब 160 से 180 डॉलर तक भी हो सकती है. भारत में अंधविश्वासी कछुओं का तंत्र-मंत्र के लिए भी इस्तेमाल करते हैं. बांग्लादेश के रास्ते चीन व एशिया के अन्य देशों में कछुओं की तस्करी सूत्रों के अनुसार, कछुआ तस्करी की कुछ घटनाओं में गिरफ्तार लोगों से यह बात भी सामने आ चुकी है कि वे पश्चिम बंगाल के रास्ते कछुए बांग्लादेश अवैध तरीके से भेजने की फिराक में थे. बताया जा रहा है कि बांग्लादेश के रास्ते चीन व एशिया के कई देशों में कछुए भेजे जाते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ढाका और अन्य जगहों में अवैध तरीके से तस्करी कर लाये गये कछुओं को बरामद करने के कई मामले सामने आ चुके हैं. बताया गया ज्यादातर मामलों में भारत-बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाके बेनापोल से तस्करी कर कछुए लाने के मामले ज्यादा थे. कछुए बेचना गैर कानूनी हमारे देश में कछुआ बेचना और खरीदना गैर कानूनी है. तेजी से खत्म होने के कारण ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक एवं संरक्षण समितियों ने कछुओं की कई प्रजातियों को रेड लिस्ट व वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की सूची में शामिल किया है. ””द कॉन्वेंशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ऑफ इनडेंजर स्पीशीज ऑफ फोना एंड फ्लोरा”” समझौते के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवैध तरीके से किसी भी जीव-जंतु की खरीद-फरोख्त पर रोक है.
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