कोलकाता. महानगर में 45 वर्षीय एक व्यक्ति को, जिसे पहले दिल का दौरा पड़ चुका था और कार्डियक स्टेंटिंग हुई थी, अब पित्त नली के गंभीर संकुचन से नया जीवन मिला है. यह संकुचन इतना जटिल था कि इसे सामान्य इआरसीपी (एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैंक्रेटोग्राफी) से ठीक नहीं किया जा सकता था और इसके लिए एक बड़ी बाईपास सर्जरी की आवश्यकता थी. मरीज की जांच में सामने आया कि उसका हृदय सामान्य क्षमता का केवल एक-तिहाई ही काम कर रहा था. साथ ही हृदय की पंपिंग कमजोर थी, धड़कन धीमी थी और हृदय वाहिकाओं में रक्त प्रवाह भी कम था. कोलकाता के डॉ संजय मंडल और उनकी टीम ने मरीज की सफल सर्जरी कर उसे नया जीवन प्रदान किया. इस टीम में डॉ संजय मंडल (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जन), डॉ आदित्य वर्मा (कार्डियोलॉजिस्ट) और डॉ कृष्णेंदु चंद्र (एनेस्थेटिस्ट) शामिल थे. डॉ मंडल ने बताया कि सर्जरी के दौरान और उसके बाद मरीज को अस्थायी पेसिंग और विशेष निगरानी की आवश्यकता थी.
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