संवाददाता, कोलकाता
आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में एक जूनियर महिला चिकित्सक से दुष्कर्म व हत्या के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने बुधवार को जांच को लेकर सियालदह कोर्ट में छठी स्टेटस रिपोर्ट जमा की है. उक्त रिपोर्ट में कोलकाता पुलिस के तत्कालीन पुलिस आयुक्त (सीपी) विनीत गोयल को केंद्रीय जांच एजेंसी ने क्लीनचिट दी है. हालांकि, पीड़िता के परिवार के अधिवक्ता फिरोज एडुलजी ने इसको लेकर सवाल उठाया है. सूत्रों के अनुसार एडुलजी ने अदालत में सुनवाई के दौरान सीबीआइ के अधिकारी एस मीणा और गोयल के एक ही बैचमेट होने की बात का उल्लेख करते हुए आरजी कर मामले में तत्कालीन सीपी को क्लीनचिट देने को लेकर सवाल उठाया.हालांकि, सीबीआइ के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि दोनों आइपीएस अधिकारियों के एक ही बैचमेट होना कोई अपराध नहीं है. सीबीआइ ने जांच में मिले तमाम सबूतों और तथ्यों के आधार पर गोयल को क्लीनचिट दी है. सीबीआइ ने इस दिन 16 जून के बाद सात लोगों के दर्ज किये बयान का उल्लेख अपनी स्टेटस रिपोर्ट में की है. साथ ही 32 सीसीटीवा कैमरों की रिकॉर्डिंग की जांच में मिली जानकारी व तफ्तीश में मिले तथ्यों का उल्लेख भी रिपोर्ट में है. इस रिपोर्ट में भी सीबीआइ ने मामले में सजायाफ्ता संजय राय के अलावा किसी अन्य शख्स के घटना में शामिल होने का दावा नहीं किया है. आरजी कर में जूनियर महिला चिकित्सक से दुष्कर्म व हत्या की घटना पिछले साल अगस्त में हुई थी. इस मामले में पुलिस के पूर्व सिविक वॉलंटियर राय को आजीवन कारावास की सजा भी सुनायी जा चुकी है. मामले में गिरफ्तार टाला थाने के तत्कालीन ओसी अभिजीत मंडल और आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को उक्त मामले में जमानत मिल चुकी है. हालांकि. घोष आरजी कर में वित्तीय अनियमितता के मामले में फिलहाल न्यायिक हिरासत की अवधि संशोधनागार में काट रहा है.
संजय राय की अर्जी स्वीकार, मामले की सुनवाई सितंबर में :
आरजी कर अस्पताल में एक युवा डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले में सजायाफ्ता संजय राय ने खुद को बेकसूर बताते हुए बरी करने की याचिका दायर की है. अदालत ने संजय की याचिका स्वीकार कर ली है. संजय की ओर से दायर मामले की सुनवाई सीबीआइ द्वारा दायर मामले के साथ होगी. मामले की अगली सुनवाई सितंबर में होगी. न्यायाधीश देवांग्शु बसाक की अगुवाई वाली खंडपीठ ने निर्देश दिया है कि मृतका का परिवार इस मामले में अदालत के साथ सहयोग कर सकता है. संजय के वकील कौशिक गुप्ता ने कहा कि कुछ सबूतों के आधार पर आरोप सिद्ध नहीं होते हैं. उनके मुवक्किल को बरी करने के पर्याप्त कारण हैं. सियालदह की एक अदालत ने आरजी कर मामले में नागरिक स्वयंसेवक संजय को दोषी ठहराया था और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. सीबीआइ ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक मामला दायर की. केंद्रीय जांच एजेंसी ने दोषी के लिए मृत्युदंड की अर्जी दी है. इसे देखते हुए संजय ने बरी करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में एक प्रतिवाद दायर किया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है