6 जुलाई 1995 को आईसीएफ कोच के साथ शुरू हुआ था सराईघाट का सफर
कोलकाता. 30 साल पहले, 6 जुलाई 1995 को हावड़ा स्टेशन से सराईघाट एक्सप्रेस ने अपनी पहली यात्रा शुरू की थी. डीजल इंजन और 10 पारंपरिक आईसीएफ कोचेस के साथ इस ट्रेन ने गुवाहाटी स्टेशन तक की दूरी तय की थी. उस समय यह देश की पहली ऐसी ट्रेन बनी, जिसने पूरे भारत को उत्तर-पूर्व के राज्यों से जोड़ा. आज भी, 30 वर्षों के बाद, यह ट्रेन उत्तर-पूर्व भारत के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा बनी हुई है.हावड़ा स्टेशन पर मना जश्न
सराईघाट एक्सप्रेस के 30 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में रविवार को हावड़ा स्टेशन के सॉर्टिंग यार्ड कोचिंग कॉम्प्लेक्स में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर ट्रेन में ड्यूटी करने वाले रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने अनुभव साझा किये. हावड़ा मंडल के डीआरएम संजीव कुमार ने सभी रेल कर्मचारियों को बधाई दी और सराईघाट एक्सप्रेस की ऐतिहासिक यात्रा को याद किया.
तीन दशकों में बड़े बदलाव
1995 में डीजल ट्रैक्शन और पारंपरिक आईसीएफ कोच के साथ शुरू हुई इस ट्रेन ने समय के साथ कई बदलाव देखे हैं. अब यह आधुनिक एलएचबी कोच से सुसज्जित है, जो यात्रियों को अधिक आराम और सुरक्षा प्रदान करते हैं. साथ ही, 25 जून 2025 को ट्रेन ने पूरी तरह से एंड-टू-एंड इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन प्राप्त कर लिया है, जिससे इसका संचालन और भी सुचारू हो गया है.कार्यक्रम में अधिकारी और कर्मचारी हुए शामिल
वर्षगांठ के मौके पर सॉर्टिंग यार्ड कोचिंग कॉम्प्लेक्स में सराईघाट एक्सप्रेस के डिब्बों को आकर्षक ढंग से सजाया गया था. इस समारोह में सीनियर डीएमई (छत्तीसगढ़ और टीएस), सीनियर डीएमई (इंजीनियरिंग और फ्रेट) समेत कई वरिष्ठ अधिकारी और रेल कर्मचारी शामिल हुए.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है