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केंद्र सुनिश्चित करे कि राज्य के लोग मनरेगा से वंचित न रहें : कोर्ट

गुरुवार को मनरेगा श्रमिकों के संगठन की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि मनरेगा परियोजना में भ्रष्टाचार हुआ तो केंद्रीय एजेंसी कार्रवाई करेगी

कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि राज्य के लोग 100 दिनों की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना से वंचित न रहें. इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति चैताली चटर्जी (दास) की खंडपीठ ने आदेश दिया कि केंद्र सरकार इस योजना के लिए राज्य सरकार को फंड आवंटित करने के मुद्दे पर जल्द से जल्द निर्णय ले. गुरुवार को मनरेगा श्रमिकों के संगठन की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि मनरेगा परियोजना में भ्रष्टाचार हुआ तो केंद्रीय एजेंसी कार्रवाई करेगी. ऐसा करने के लिए उन्हें किसी ने नहीं रोका है. खंडपीठ ने कहा कि केंद्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य के लोगों को इस योजना का लाभ मिले और साथ ही कानून के अनुसार राज्य को फंड आवंटित करना होगा. इसके अलावा उन्हें यह भी बताना होगा कि केंद्र इस योजना का बकाया पैसा कब जारी करेगा. इस मामले में अगली सुनवाई 15 मई को होगी और उससे पहले केंद्र को रिपोर्ट पेश करनी होगी.

जांच समिति ने हाइकोर्ट में पेश की रिपोर्ट: राज्य में मनरेगा के तहत 100 दिनों के काम में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच में बड़ी राशि की बरामदगी की घटना सामने आयी है. इसे लेकर बुधवार को हाइकोर्ट में एक रिपोर्ट पेश की गयी. रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य के चार जिलों से अब तक कुल 2.4 करोड़ रुपये बरामद किये गये हैं. हाइकोर्ट के आदेश पर गठित एक विशेष जांच समिति ने यह रिपोर्ट प्रस्तुत की. इस समिति में राज्य और केंद्र सरकार दोनों के प्रतिनिधि शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार, हुगली, पूर्व बर्दवान, मालदा और दार्जिलिंग जिलों में 50 करोड़ रुपये से अधिक के भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गये थे. केंद्रीय टीम ने पहले ही आरोप लगाया था कि असली लाभार्थियों को वंचित कर, यह पैसा अन्य व्यक्तियों के बैंक खातों में भेजा गया था. गुरुवार को सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति चैताली चटर्जी (दास) की डिविजन बेंच ने कहा कि इस मामले में सीबीआइ जांच की मांग पर विचार किया जायेगा.

क्या है मामला

वर्ष 2022 से ही केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत पश्चिम बंगाल को फंड देना बंद कर दिया. इससे राज्यभर में 100 दिनों के कार्य प्रभावित हुए हैं. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक वह इस संबंध में पूरी स्थिति स्पष्ट करे.

हाइकोर्ट की खंडपीठ ने केंद्र सरकार के पूछा- राज्य के चार जिलों को छोड़कर क्या 100 दिनों का कार्य शुरू हो सकता है

मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि क्या चार जिलों को छोड़कर बाकी राज्य में 100 दिनों का कार्य फिर से शुरू किया जा सकता है. साथ ही सवाल किया कि यदि ऐसा होता है तो क्या केंद्र फंडिंग बहाल करेगा? हाइकोर्ट ने यह भी पूछा कि जो राशि बरामद की गयी है, क्या उसे वास्तविक लाभार्थियों को लौटाया जा सकता है? इसे लेकर हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार से रिपोर्ट मांगी है.

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