22.6 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

राज्य सरकार के अपराजिता विधेयक पर केंद्र ने जतायी आपत्ति, भेजा वापस

राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अपराजिता विधेयक को राज्य सरकार के पास विचार के लिए वापस भेज दिया है, क्योंकि केंद्र ने भारतीय न्याय संहिता में प्रस्तावित बदलावों को लेकर गंभीर आपत्तियां जतायी हैं.

आरजी कर के दुष्कर्म-हत्याकांड के बाद विधानसभा से पारित बिल दिल्ली को पसंद नहीं

संवाददाता, कोलकाताराज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अपराजिता विधेयक को राज्य सरकार के पास विचार के लिए वापस भेज दिया है, क्योंकि केंद्र ने भारतीय न्याय संहिता में प्रस्तावित बदलावों को लेकर गंभीर आपत्तियां जतायी हैं. राजभवन के एक उच्चपदस्थ सूत्र ने यह जानकारी दी.

सूत्र ने कहा कि केंद्र ने अपने अवलोकन में पाया कि सितंबर 2024 में विधानसभा में पारित अपराजिता महिला व बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, बीएनएस की कई धाराओं के तहत बलात्कार के लिए सजा में बदलाव की मांग करता है, जो ””अत्यधिक कठोर और असंगत”” हैं.

विधेयक में बलात्कार के लिए सजा को बीएनएस के तहत मौजूदा न्यूनतम 10 वर्ष से बढ़ा कर शेष जीवन के लिए आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रस्ताव किया गया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गृह मंत्रालय ने विधेयक के कई प्रावधानों को समस्या पैदा करने वाला बताया है. गृह मंत्रालय की टिप्पणी पर गौर करने के बाद राज्यपाल ने उन्हें उचित विचार के लिए राज्य सरकार के पास भेज दिया है. उसने गृह मंत्रालय की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा : केंद्र ने बलात्कार के लिए सजा को न्यूनतम 10 वर्ष से बढ़ाकर दोषी के शेष जीवन के लिए आजीवन कारावास या मृत्युदंड करने के लिए बीएनएस की धारा 64 में संशोधन के प्रस्ताव को अत्यधिक कठोर और असंगत बताया है. अन्य विवादास्पद बदलाव धारा 65 को हटाने का प्रस्ताव है, जो वर्तमान में 16 और 12 वर्ष से कम आयु की लड़कियों के साथ बलात्कार के लिए कठोर दंड का प्रावधान करता है. हालांकि, सबसे अधिक आलोचना धारा 66 के अंतर्गत आने वाले खंड की हो रही है, जिसमें बलात्कार के उन मामलों में मृत्युदंड को अनिवार्य बनाने का प्रयास किया गया है, जहां पीड़िता की या तो मृत्यु हो जाती है या वह निरंतर वानस्पतिक अवस्था में रहती है. वानस्पतिक अवस्था एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति जागा हुआ तो दिखता है, लेकिन उसमें जागरूकता के कोई लक्षण नहीं होते हैं. सूत्र ने कहा : मंत्रालय ने संवैधानिक चिंताएं उठाते हुए तर्क दिया है कि सजा सुनाने में न्यायिक विवेकाधिकार को हटाना स्थापित कानूनी मानदंडों और उच्चतम न्यायालय के फैसलों का उल्लंघन है.

हाल में राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने इस विधेयक को भारत के राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रख लिया था. राज्य के एक वरिष्ठ नौकरशाह ने कहा : अभी तक अपराजिता विधेयक के संबंध में किसी से कोई संवाद नहीं हुआ है. यदि हमें ऐसी कोई सूचना मिलती है, तो हम इस मामले में आवश्यकतानुसार उचित कदम उठाने पर विचार करेंगे. गौरतलब है कि राज्य विधानसभा ने नौ अगस्त, 2024 को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के लगभग एक महीने बाद सर्वसम्मति से अपराजिता विधेयक पारित किया था.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel