कोलकाता. केंद्र सरकार द्वारा जारी एक अधिसूचना के तहत अब कच्चे जूट और जूट यार्न का आयात केवल न्हावा शेवा बंदरगाह के जरिये ही किया जा सकेगा. इससे देश के जूट उद्योग में भारी चिंता है, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार और असम जैसे राज्यों में, जहां अधिकांश मिलें कार्यरत हैं और कच्चा माल पड़ोसी देशों से सड़क मार्ग द्वारा आता है.
उद्योग के अनुसार, यह निर्णय ऐसे समय में आया है, जब 2025-26 की फसल में संभावित गिरावट की आशंका है और बाजार में पहले से ही कच्चे जूट का मूल्य 7,500 रुपये प्रति क्विंटल के पार जा चुका है. इसके साथ ही यह तथ्य भी चौंकाने वाला है कि तैयार जूट उत्पाद जैसे हेसियन कपड़ा, सैकिंग कपड़ा, हेसियन बैग, और सैकिंग बैग पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. इनका आयात बंगाल की भूमि सीमाओं से निर्बाध रूप से जारी है. उद्योग जगत से जुड़े एक विश्लेषक के अनुसार : यदि कच्चे माल के आयात को रोका जाता है और तैयार माल को खुलेआम आने दिया जाता है, तो यह नीतिगत असंतुलन देश के घरेलू उत्पादन और श्रमिक हितों के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है. यह कदम तब आया है, जब केंद्र सरकार पहले ही विभिन्न आदेशों के माध्यम से जूट स्टॉक के नियंत्रण और भंडारण पर निगरानी बढ़ा चुकी है. ऐसे में यह अधिसूचना एक नयी बहस को जन्म दे रही है कि क्या जूट नीति केवल व्यापार संतुलन देख रही है या फिर उत्पादन और किसान-श्रमिक हितों को भी ध्यान में रखा जा रहा है.
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