संवाददाता, कोलकाता
पेट्रापोल सीमा चौकी पर क्लियरिंग एजेंट के कर्मचारियों के एक संगठन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर बांग्लादेश से भूमि मार्ग से जूट उत्पादों और परिधानों के आयात पर केंद्र द्वारा लगाये गये प्रतिबंध को हटाने के लिए उनसे हस्तक्षेप की अपील की है. पेट्रापोल क्लियरिंग एजेंट्स स्टाफ वेलफेयर एसोसिएशन ने दावा किया है कि इस प्रतिबंध के कारण उत्तर 24 परगना जिले में सीमा चौकी पर व्यापार प्रवाह प्रभावित हुआ है.
एसोसिएशन ने कहा है कि इस प्रतिबंध ने व्यापार प्रवाह को बाधित किया है और उन हजारों लोगों की आजीविका को प्रभावित किया है, जो भारत-बांग्लादेश के महत्वपूर्ण एकीकृत चेकपोस्ट के माध्यम से लेनदेन पर निर्भर हैं. एसोसिएशन के सचिव कार्तिक चक्रवर्ती ने बताया, ‘‘प्रतिबंध लगाए जाने के बाद आयात व्यापार की मात्रा में भारी गिरावट आयी है. पेट्रापोल में आयात ट्रक और रैक की संख्या जून में घटकर 1,654 रह गयी, जो मई, 2025 में 3,886 थी.’’ उन्होंने कहा कि मौजूदा रुझानों के विपरीत, वर्ष 2023 में अधिकतम मासिक आंकड़ा 4,900 था, जबकि औसत मात्रा आमतौर पर 3,500 से ऊपर रहती है.
चक्रवर्ती ने कहा, ‘प्रतिकूल भू-राजनीतिक परिस्थितियों के कारण स्थानीय आबादी के एक बड़े हिस्से की आजीविका गंभीर खतरे में है. हम सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सरकार से तत्काल मदद चाहते हैं.’
मई में भारत ने बांग्लादेश से सिलेसिलाए कपड़ों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे कुछ सामान के आयात पर बंदरगाह प्रतिबंध लगा दिये थे.
बांग्लादेश से भूमि मार्ग के माध्यम से कई जूट उत्पादों और बुने हुए कपड़ों के आयात पर भी जून में प्रतिबंध लगा दिया गया था. एसोसिएशन ने बताया कि पेट्रापोल सीमा चौकी के माध्यम से आयात में जूट उत्पादों और कपड़ों का बड़ा हिस्सा होता है. श्री चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘इन श्रेणियों में व्यापार का लंबे समय तक बंद रहना कई लोगों को वित्तीय संकट में डाल रहा है.’’ भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन के एक पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि घरेलू जूट उद्योग की भलाई के लिए कच्चे जूट को सभी बंदरगाहों से होकर गुजरने की अनुमति दी जानी चाहिए.
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